प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा है कि प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का जीवन खुली किताब की तरह था। त्याग, तपस्या से परिपूर्ण उनका जीवन हर किसी के चरित्र को श्रेष्ठ बनाने की प्रेरणा देता था। बिना त्याग, तपस्या के जीवन में सच्चाई सफाई नहीं आती है। मन के अंदर जड़ें जमाकर बैठे सूक्ष्म विकारों से मुक्त होने के लिए साधना अति आवश्यक है। वे शुक्रवार को ब्रह्माकुमारी संगठन के अंतराष्ट्रीय मुख्यालय पाण्डव भवन में प्रजापिता ब्रह्माबाबा के ५०वीं पुण्य तिथि कार्यक्रम में देश-विदेश से आए राजयोगी श्रद्धालूओं को संबोधित कर रहीं थी।
ज्ञान सरोवर निदेशिका बी. के. डॉ. निर्मला ने कहा कि विश्व शान्ति के कार्य में संपूर्ण समर्पणता के साथ विकटतम परिस्थितियां आने के बावजूद भी नि:स्वार्थ सेवा की मशाल जलाये रखी। जिनकी तपस्या की बदौलत आज विश्व नवनिर्माण के विशाल कार्य को समूचे विश्व में मूर्तरूप देने के लिए लाखों की तादाद में भाई-बहनें तत्पर है।
राजनीतिक प्रभाग अध्यक्ष बृजमोहन आनंद ने ब्रह्मा बाबा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने को प्रेरित करते कहा कि प्राकृतिक सिद्धांत के अनुरुप शीघ्र ही संसार का परिवर्तन होकर स्वर्णिम दुनिया आएगी।
खेल प्रभाग राष्ट्रीय संयोजिका बी के शशि बहन ने कहा कि समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य प्रजापिता ब्रह्माबाबा ने बखूवी निभाया। इस कार्य को संपन्न करने के लिए हर व्यक्ति को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
संगठन के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युजंय ने कहा कि आत्मिक स्वरूप की अनुभूति करने के बाद परमात्मा संबंध जोडऩा सरल हो जाता है। वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके शीलू बहन ने भी ब्रह्मा बाबा के संस्मरण सुनाए। कार्यक्रम में वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके गीता बहन, ऊषा बहन, बीके सूरज, बीके अशोक गाबा, बीके भरत सहित बड़ी संख्या में देश-विदेश से आए राजयोगी श्रद्धालूगण उपस्थित थे।
दिन भर हुए ध्यान, साधना के कार्यक्रम
दिन भर ध्यान, योग, साधना के जरिए संगठित रूप से विश्व में शान्ति के शक्तिशाली वायब्रेशन प्रवाहित किए। देश-विदेशों से बड़ी संख्या में आए राजयोगी श्रद्धालूओं का अलसुबह से ही प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के समाधि स्थल शान्ति स्तम्भ, बाबा के कमरे, कुटिया, हिस्ट्री हाल आदि स्थानों पर तांता लगा रहा।