नगरपालिका अध्यक्ष ने लिखा संभागीय आयुक्त को पत्र। अब निर्माण स्वीकृतियो पर देने का अधिकार नगरपालिका का।
माउन्ट आबू, नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश थिंगर ने संभागीय आयुक्त जोधपुर को पत्र लिखा है कि माउन्ट आबू नगरपालिका अब मास्टर प्लान के स्व्ीकृत होने के बाद सभी प्रकार के निर्माण कार्यो की स्वीकृति देने हेतु सक्षम है। ईको सेन्सटीव जोन आबू पर्वत घोषित होने के लिये लम्बी लडाई लडी गई ।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने माउन्ट आबू में निर्माण कार्यो पर रोक लगाई थी और 2009 में माउन्ट आबू को ईको सेन्सटीन जोन घोषित होने के बाद माउन्ट आबू के निर्माण कार्यो की स्वीकृति हेतु मोनेटरींग कमेटी का गठन किया गया था जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट (टील) यानि जब तक मास्टर प्लान स्वीकृत नहीं हो जाता तब तक के लिये ही मोनेटरींग कमेटी कार्य कर सकेगी। जैसे ही माउन्ट आबू का जोनल मास्टर प्लान गत वर्ष स्व्ीकृत हो चुका समस्त निर्माण कार्यो के अधिकार स्वत- ही नगरपालिका क्षेत्राधिकार में निहीत हो गये। नगरपालिका अघ्यक्ष ने संभागीय आयुक्त को लिखा है कि अब नगरपालिका को समस्त निर्माण कार्यो की स्व्ीकृति के अधिकार है जिसके लिये भवन उपविधिया शीघ्र ही पारीत की जानी है। जनता अपने भवनों के मरम्मत रिनोवेशन नव निर्माण के मूल अधिकारों से वंचित है।
भवन निर्माण की जिनी भी पत्रावलिया नगरपालिका में विचाराधीन है उन्हे तुरन्त पालिका स्तर से निस्तारण करवाने के निर्देश दिये जाने चाहिए। जब तक भवन उपविधिया पारीत नहीं होती है ब तक नव निर्माण के अलावा रिपेयर रिनोवेशन की जितनी श्रभी पत्रावलियां पेन्डीग है उन्हे तुरन्त् प्रभाव से निस्तारण किये जाने के आदेश दिये जाने चाहिए एवं स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय की अनुमति नगरपालिका द्वारा दी जानी चाहीए इसमें किसी भी प्रकार के कानून की आड में व्यवधान पैदा नहीं होना चाहिए। पालिका अध्यक्ष ने यह भी सुझााव दिया है कि संविधान में स्वायतशासी संस्था को जो अधिकार दिये गये है नगरपालिका बोर्ड स्वंय अपने पास रखकर उसको नियमानुसार निस्तारण करने का अधिकार रखती है।
पत्रावलिया जिसमें निर्माण की स्व्ीकृति दी हुई है तथा मोनेटरींग कमेटी द्वारा बनाई गई उपसमिति द्वारा भी स्व्ीकृति प्राप्त है उन्हे तुरन्त प्रभाव से निस्तारित करवाने के निर्देश प्रदान कराने साथ ही नई पत्रावलिया जो प्राप्त है उन्हे भी तकनीकी तौर पर मौका निरीक्षण कराकर उन्हे भी निस्तारित कया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि अब मास्टर प्लान स्व्ीकृति के बाद नव निर्माण बिल्डिंग बाय लाज लागू करवाये जावे जिससे स्थानीस जनता मौलिक अधिकारों का उपयोग कर सके।
इस संम्बन्ध में मास्टर प्लान पारीत होने के बाद 05.02.2016 को लिये गये मोनेटरींग कमेटी के निर्णय के कारण नगरपालिका प्रशासन को निर्माण स्व्ीकृतियों की पत्रावलियां का निस्तारण करने में अधिकारीगण व कर्मचारी असमझ की स्थिति बनी हुई है जिस कारण पत्रावलियों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है जबकि मास्टर प्लान पारीत होने के बाद राजस्थान उच्च न्यायालय के अतिरिक्त् महा अधिवक्ता राजेश पंवार से विधिक राय प्राप्त की गई थी जिसमें उन्होने स्पष्ट लिखा है कि मास्टर प्लान पारीत होने के बाद की तिथि से मास्टर प्लान के अनुरूप् सभी प्रकार के निर्माण स्व्ीकृतियां नगरपालिका मण्डल नगरपालिका अधिनियम के तहत स्वंय निस्तारित कर सकती है परन्तु मोनेटरींग कमेटी द्वारा निर्णय से पालिका प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिससे जनता में भंयकर रोष व्याप्त है एवं बोर्ड व सरकार की छवि खराब हो रही है। साथ ही नगरपालिका अध्यक्ष्ज्ञ ने यह भी लिखा है कि नगरपालिका को दिशा निर्देश दिये जावे कि निर्माण स्वीकृतिया राजस्थान नगरपालिाि अधिनियम 2009 की धारा 194 (161) के अन्तर्गत स्वीकृतिया जारी कर सके।