माउंट आबू राजस्थान और पश्चिम भारत का इकलौता हिल स्टेशन है । यहां सालाना लाखो सैलानी आते है। गर्मी के दिनों मे जहां कई हिल स्टेशन भी थोड़ी गर्मी से तपते रहते है वहीं माउंटआबू में मौसम की ठंडी बयार सैलानियों को आमंत्रण देती है और लोग यहां का इसके मौसम की वजह से रुख करते है। लेकिन अब सैलानी माउंटआबू में ज्यादा विकास और बदलाव चाहते है । उनका कहना है कि माउंटआबू गुजरात या देश के हिल स्टेशनों की तरह अभी तक विकसित नहीं हो पाया है। यानी सैलानियों के मुताबिक माउंटआबू को विकास और सुविधाओं से अत्यधिक सुसज्जित होने की जरूरत है। जानिए कि आखिर माउंटआबू में ऐसा क्या है जो सैलानियों को उनकी सैर सपाटे की मस्ती के लिए अनुकूल बनाता है।
माउंटआबू पश्चिम भारत और राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन जहां वादियों की ठंडी बयार सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देती है। इस तपतपाती गर्मी में भी यहां दिन का तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस है। जबकि सुबह और शाम के वक्त यहां का तापमान सिर्फ 20 से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस होता है जिससे सैलानी इस मौसम और यहां का भरपूर मजा लेते है। दरअसल सुबह और शाम के वक्त यहां गर्मियों में ठंडी हवाएं चलती है और मौसम इतना सुहावना हो जाता है कि सैलानियों की मस्ती के लिए यह भरपूर होता है। माउंटआबू में मौसम का मिजाज और यहां वादियों में रची बसी खूबसूरती ही सैलानियों को हर मौसम में आकर्षित करती है। पहाड़ियों के सौंदर्य की बात हो या फिर नक्की झील में बोटिंग का लुत्फ सैलानियों के लिए यह एवरग्रीन टूरिज्म स्पाट बनकर उन्हें सालों से रिझा रहा है।
माउंटआबू आने वाले सैलानियों से जब हमने पूछा कि वह बतौर टूरिस्ट डेस्टिनेशन क्या बदलाव चाहते है। लोगों ने यह राय जाहिर की कि माउंटआबू जैसा 10 साल पहले था वैसा ही अब भी है। कोई खास बदलाव नहीं आया है। चीजें लगभग वहीं है। सैलानियों के लिए यहां वैसी कुछ चीजों में इजाफा किया जाना चाहिए जिससे इस हिल स्टेशन में सैलानियों की आवक बढ़े। कुछ सैलानियों ने यह भी कहा कि उन्हें पीक सीजन में रहने के लिए होटल या गेस्ट हाउस नहीं मिलता लिहाजा उन्हें माउंटआबू से नीचे आबू रोड जाना पड़ता है और वहां गर्मी होती है लिहाजा होटल और गेस्ट हाउस के अभाव में उनके सैर सपाटे का मजा किरकिरा हो जाता है। यहां बजट होटल, डीलक्स होटल, रिजार्ट, स्टार होटल आदि बजट में मिल जाते है। लेकिन पीक सीजन में इनकी कमी हो जाती है। लिहाजा कई सैलानी पीक सीजन में माउंटआबू के सैर सपाटे के बगैर सिर्फ होटल नहीं मिलने की वजह से लौट जाते है। सैलानियों की मांग है कि यहां होटल आदि सुविधाओं में इजाफा किया जाना चाहिए।
सैलानियों से बातचीत में यह पता चला कि वह यहां की ट्रांसपोर्ट सिस्टम से बेहद दुखी है। आबू रोड से माउंटआबू आने के लिए गिनती की बसे है। टैक्सी और कार चालक ज्यादा किराया मांगते है। लिहाजा उन सैलानियों के लिए जो कार और टैक्सी का किराया वहन करने में असमर्थ होते है उनके लिए परिवहन व्यवस्था को बेहतर किया जाना चाहिए। आबू रोड से माउंटआबू के लिए राज्य परिवहन की बहुत कम बसें चलती है। जो सैलानियों की आवक है उसके मुताबिक कम है। दूसरी तरफ यहां पहुचने के लिए कोई एयरपोर्ट नहीं है। एयरपोर्ट होने की स्थिति में माउंटआबू में सैलानियों की आवक बढ़ जाएगी। साथ ही रेल लिंक की बात करें तो माउंटआबू में सिर्फ एक ही रेल लिंक है। जबकि इसे देश के दूसरों रेल लिंक के हिस्सों से भी जोड़ा जा सकता है। फिलहाल यह सिर्फ गुजरात जानेवाली गाड़ियों के ही रेल लिंक से जुड़ा है जो इसके विकास और विस्तार में बाधक साबित हो रहा है।
माउंटआबू में कितने सैलानी आते है और इससे सिर्फ यात्री कर और वाहन कर के रूप में कितनी आय होती है इसका अंदाजा इन आंकड़ों को देखकर ही लगाया जा सकता है। माउंटआबू में एक मई से 19 मई तक 1 लाख तीस हजार 866 सैलानी आए जिससे यहां क नगर पालिका को 15 लाख 21 हजार और 185 रुपए की आय हुई। नगर पालिका के नाका प्रभारी किशन लाल के मुताबिक गत वर्ष एक मई से 31 मई तक 30 लाख 74 हजार 65 रुपये की आय यात्री कर से हुई। पिछले वर्ष मई महीने में 2 लाख 59 हजार सैलानी एवं 27 हजार 545 वाहन माउंटआबू आए थे। अप्रैल 2016 में एक लाख 24 हजार 293 सैलानी माउंटआबू आए जिसमें नगर पालिका को यात्री कर और वाहन कर से 16 लाख एक हजार 220 रुपये की आय हुई।
साथ ही इस अवधि में यहां 13 हजार 761 वाहन माउंटआबू पहुंचे। इसी प्रकार पिछले वर्ष अप्रैल 2015 में एक लाख 33 हजार 956 सैलानी माउंटआबू आए थे जिससे नगरपालिका को यात्री कर एवं वाहन कर के रुप में 16 लाख 17 हजार 145 रुपये की आय हुई। इस दौरान शहर मे कुल 14725 वाहन आए।वर्ष 2015-16 यानी एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक माउंटआबू में 21 लाख 93 हजार 741 सैलानी आए। नगर पालिका को यात्रीकर से 2 करोड़ 13 लाख 65 हजार और 835 रुपये की आय हासिल हुई एवं 217026 वाहनों से 45 लाख 98 हजार 640 रुपये की आय हुई। इस वित्तीय वर्ष में नगर पालिका को 12 महीने में 31 मार्च 2016 तक 2 करोड़ 59 लाख 64 हजार 475 रुपये की आय हई। इस वित्तीय वर्ष में 2014-15 के मुकाबले कम सैलानी आए जिसकी वजह रही माउंटआबू में बारिश की त्रासदी जिसके कारण माउंटआबू को पटरी पर लाने में लगभग दो महीने का वक्त लग गया था। इस त्रासदी की वजह से सैलानियों की आवक कम हुई जिससे माउंटआबू के राजस्व में गिरावट आई।
इन आंकड़ों से यह साफ होता है कि माउंटआबू में टूरिज्म उसकी रीड़ की हड्डी के तरह है। लेकिन अब बदलते वक्त के हिसाब से इसे और बेहतर किए जाने की जरूरत है। सैलानी अगर इस शहर का रुख करता है तो उसकी उम्मीद होती है कि यहां ठहरने के लिए उसे वाजिब दाम में होटल मिल जाए और वह अपनी मर्जी के मुताबिक कही भी घूम सके। माउंटआबू में यह सुविधाएं है भी लेकिन जब उन्हें वन अभ्यारण्य के नाम पर टिकट के लिए पैसे देने पड़ते है और उन्हें देखने के लिए कुछ भी नहीं मिलता तो उन्हें निराशा होती है। राज्य सरकार यह जानते हुए कि माउंटआबू टूरिस्टों के लिए सैरगाह है और पर्यटन के लिहाज से कमाई का पूत है लेकिन अनदेखी की वजह से इस शहर में एक हिल स्टेशन के लायक जो सुविधाएं अबतक होनी चाहिए थी उससे यह अबतक अछूता है। इस बात को लेकर हैरानी होती है कि जहां नगर पालिका को यात्री कर और वाहन कर के रुप में एक साल में करोड़ों के कमाई होती है वहां अबतक विकास और सुविधाएं के वहीं हालत क्यों है और उसमें बदलाव क्यों नहीं हुआ।