मासुम बच्चो ने रखा रोजा की खुदा की बारगाह मे दुआ
इस्लाम के पाक महिनो मे से एक रमजानुल मुबारक का महिना आता है, साल के बारह महिनो मे से अललाह ने खुद के लिए गयारह महिने व अपने बंदो के लिए एक महिना मुकरर किया है जिसे कि रमजानुल मुबारक कहते है, इस महिने मे अल्लाह के बंदे जो भी काम करते है उनका कोई हिसाब नही लिया जाता वह सब उनकी नेकी मे सुमार कर दिए जाते है।
इस महिने मे अल्लाह मे अपने हर बंदे जिनको इस्लाम ने बालिग करार दिया है उन पर रोजे फर्ज है, इसी के तहत सोमवार को शहर के कुम्हार मौहल्ले के साढे पांच वर्षीय बालक मोहम्मद सादात, व पांच वर्षीय आयशा बानो ने अल्लाह की रजा के लिए रोजा रखा, मासुम बालक मोहम्मद सादात ने बताया कि मेरे घर वाले सभी रोजा रखते है तो मेने भी रोजा रखा अल्लाह मेरी दुआ जरूर कबुल करेगा, बालिका आयशा बानो ने कहा कि मै रोज अपने दादा दादी व घर वालो को रोजा रखते देखती थी तो आज मेने भी रोजा रखा है अल्लाह मेरी भी दुआ कबुल करेगा, इन मासुमो ने गर्मी के दिनो मे रोजे रखकर जो कि अभी साढे 15 घन्टे का रोजा चल रहा है रोजा रखा, पूरे दिन उन्होने नमाज पढी, कुरान की तिलावत कि।
मुबारकबाद के साथ खोला रोजा
अल्लाह को खुश करने के लिए मासुमो द्वारा रखे गए रोजे को सभी ने सहारा, पुरे दिन मोहल्ले व समाज के लोगो द्वारा फुलमाला पहनाकर उन्है मुबारक बाद दी गई,साम होते होते मासुम बच्चे प्यास के मारे व्याकुल हो गए उनके दादा दादी ने बताया कि कई बार हमने उन्है रोजा न रख्रने व बडे होकर रोजा रख लेना ऐसा कहा लेकिन उनकी जिद के आगे हमारी नही चली और उन्होने रोजा रखा साम को रोजा इफ्तार के वक्त सभी ने उनको मुबारक बाद दी व खुजुर खिला कर उनको रोजा इफ्तार करवाया।