श्री राणाकिशनजी महाराज, सर्वेष्वर रधुनाथ मन्दिर, आबू पर्वत
आचार्य स्वामी अभिरामदासजी महाराज, राश्ट्रपति पदक विजेता द्वारा सम्मानित, जूनागढ
माउंटआबू के सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में 72 वां पाठोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। दरअसल माउंटआबू में यह परंपरा सदियों पुरानी है जिसे होली से पहले की होली के रूप में जाना जाता है। यह होली भगवान राम अपने भक्तों के बीच खेलते हैं। इस दौरान होली से पहले ही भगवान राम और शिव की यह नगरी होली के कई रंगों में रंगती हुई नजर आती है। भगवान राम के दर्शन और स्वागत का यह सिलसिला दो दिनों तक चलता है। माउंटआबू में भगवान राम की यह अनोखी यात्रा सर्वेश्वर रघुनाथ उत्सव के रूप में भी जानी जाती है।
भगवान राम का रथ। फूल मालाओं से सजने के बाद चांदी का रथ दिव्यता के रंगों में रंगा दिखने लगा। अखिल भारतीय हिंदू धर्म सम्मेलन के साथ ही भगवान राम के इस अनोखे रथयात्रा उत्सव की तैयारी की जाती है। चांदी के रथ को तैयार करने में घंटों लगते है जिसमें संतों की सलाह और वास्तु का भी ध्यान रखा जाता है। दरअसल सिया के राम को जिस रथ पर विराजमान करतना होता है उसके लिए तैयारियां भी खास होती है जिसमें कई लोगों का सहयोग होता है। इसमें मंडलेश्वर टोली के संतों का भी यथोचित निर्देश होता है जो ध्यान में रखा जाता है। यह प्रक्रिया भक्ति और उल्लास से भरी होती है।
इस मौके पर देशभर से आए साधु और संतों ने रामयज्ञ किया जिसमें कई मंडलेश्वर भी शामिल हुए । भंडारा में भगवान राम के प्रसाद को ग्रहण करने के बाद सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के चांदी के रथ को सजाया गया।
जगतगुरु रामानंदाचार्या रामनरेश महाराज जी और महंत श्री सिया बल्लभ दास जी बिश्नवाचार्य जो सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष है उनकी अगुवाई में यह रथयात्रा आयोजित की जाती है। इस मौके पर भजन देश से भजन कीर्तन मंडलियां भी आई है। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। अखंड श्री रामकीर्तन से पूरा शहर गूंजायमान होता है। साल में तीन दिन यह दिन भक्ति के ऐसे उत्सव का होता है जब शिव की नगरी होली से पहले भगवान रामनाम के संकीर्तन में रंगती और सराबोर होती है। भगवान राम के इस उत्सव को लोगों ने सर्वेश्वर रघुनाथ उत्सव भी कहते है जिसमें भगवान राम रथ में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते है। भगवान राम का रथ निकलता है और दर्शन और स्वागत का निर्बाध सिलसिला भी शुरू हो जाता है।
दरअसल माउंटआबू में यह परंपरा सदियों पुरानी है जिसे होली से पहले की होली के रूप में जाना जाता है। यह होली भगवान राम अपने भक्तों के बीच खेलते हैं। इस दौरान होली से पहले ही भगवान राम और शिव की यह नगरी होली के कई रंगों में रंगती हुई नजर आती है। भगवान राम की रथयात्रा मंदिर परिसर से शुरू हुई और माउंटआबू शहर में पहुचनी शुरू हुई। सबसे पहले भगवान राम की सवारी का सदियों पुरानी परंपरा के मुताबिक माउंटआबू के बिहारी जी मंदिर में विशेष आरती की जाती है। फिर स्वागत किया जाता है। उसके बाद भगवान राम का के रथ में रघुनाथ जी को विराजमान किया जाता है। यह परंपरा बड़े उत्साह से की जाती है।
भगवान राम की रथयात्रा के बीच भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। पूरे शहर की परिक्रमा के साथ भगवान राम की सवारी का हर जगह स्वागत किया गया और आरती भी उतारी गई। भगवान राम ने भक्तों को दर्शन देना शुरू किया। यह सिलसिला दो दिनों तक माउंटआबू में चलता है यानी वह दो दिनों तक पूरे माउँटआबू के लोगों को रथ में विराजमान होकर दर्शन देते है।भगवान राम की सवारी पूरे शहर की परिक्रमा करती है। इस बार भी भगवान राम की भक्ति की धारा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से संतों की जमात यहां आए जिसमें देश विदेश से कई साधु और संत भी शामिल हुए है। साध-संत और मंडलेश्वर से जुड़ी यह टोली भगवान राम जी के रथ के साथ चलती है जिसमें हजारों श्रद्धालु भी दिखते है।