कैलाश सत्यार्थी और मलाला शांति के नोबेल से नवाजे गए


| December 12, 2014 |  

भारत के बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ;60द्ध और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई ;17द्ध को बुधवार को संयुक्त रूप से 2014 के शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दोनों को यह पुरस्कार नॉर्वे के ओस्लो में दिया गया।
भारत.पाकिस्तान को पहली बार साझा नोबेल मिला है। मलाला यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की हैं। सत्यार्थी और मलाला दोनों पुरस्कार की 11 लाख डॉलर की राशि साझा करेंगे। नॉर्वे की नोबेल समिति के प्रमुख थोर्बजोर्न जगलांद ने पुरस्कार देने से पहले कहा कि सत्यार्थी और मलाला उन्हीं लोगों में से एक हैंए जिन्हें अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में शांति का मसीहा कहा था। मलाला यूसुफजई ने नोबेल की राशि मलाला फंड में दान कर दी। उन्होंने कहा कि यह रकम लड़कियों की शिक्षा के रूप में काम आएगी।
इस मौके पर सत्यार्थी ने हिंदी और फिर अंग्रेजी में दिए अपने भावुक संबोधन में कहा कि उन्हें उन हजारों बच्चों का स्मरण हो रहा हैए जिनको आजाद करने में वह खुद मुक्त होते रहे हैं। सत्यार्थी के इस संबोधन के दौरान पूरा हॉल कई बार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा।

सत्यार्थी ने अपने भाषण की शुरुआत वेद के मंत्र श्सं गछध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानतामए देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासतेश् ;प्रेम से मिलकर चलो बोलो सभी ज्ञानी बनोए पूर्वजों की भांति तुम कर्त्तव्य के मानी बनोद्ध से की। उन्होंने कहा कि वह भगवान बुद्धए गुरुनानक और महात्मा गांधी की धरती से नॉर्वे तक की अपनी यात्रा को विश्व शांति और मानवता के सबसे प्राचीन छोर से आधुनिक छोर को जोड़ने की यात्रा मानते हैं।

सत्यार्थी ने कहाए श्मैं आज उन हजारों बच्चों को स्मरण करता हूं जिनको आजाद करने में मैं मुक्त होता रहा हूं। मैंने उनके चेहरे में ईश्वर को मुस्कुराते हुए देखा है। मैं यह पुरस्कार बच्चों का बचपन लौटाने के लिए कुर्बानी देने वालों को समर्पित करता हूं।श् सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों को पूरी आजादी मिलनी चाहिए। दुनिया के हर बच्चे को स्कूल जानेए खेलने और पढ़ने की आजादी हो। अगर बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिलतीए तो मानवता का बड़ा नुकसान होगा।
मलाला का किया जिक्रः सत्यार्थी ने अपने संबोधन में मलाला का जिक्र भी किया और उसे अपनी बहादुरी बेटी बताया। उन्होंने कहाए श्आज की सबसे बड़ी बात यह है कि एक बहादुर पाकिस्तानी बेटी की अपनी भारतीय पिता से मुलाकात हुई। वहीं एक भारतीय पिता को अपनी पाकिस्तानी बेटी से मिलने का मौका मिला है।

 

 

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