दीपावली पर मिट्टी के दिपक सहित बर्तन बनाने मे जुटे कम्हार
-मिट्टी के दीपक व खिलोनो की रहती है मांग
-लाखो मे होता है मिट्टी के बर्तनो का व्यापर
दीपावली पर्व के पावन पर्व पर धन लक्ष्मी की पूजा के साथ घरो मे पवित्र मिट्टी के दिपक जलाकर रोशनी कि जाती है वही इस शुभ प्रसंग पर मिट्टी के बर्तन व खिलौने लाकर मां लक्ष्मी को रिझाया जाता है। इसी को लेकर कुम्हार वर्ग दीपावली के काफी दिनो पहले से ही मिट्टी के बर्तन व दिपक बनाने का कार्य प्रारंभ कर देते है, उसी के दौरान कुम्हार समाज के बच्चे व बडै मिट्टी के खिलोनो, बर्तनो पर रंगते हुये वही एक कुम्हार चाक पर दिपक बनाते हुये।
कोरोना काल मे पिछले छ महिनो से अपने घरो मे बैठे कुम्हार समाज के लोगो को दीपावली पर्व से काफी उम्मीद जग रही है वेसे सरकार द्वारा अनलॉक डाऊन 6 के तहत जारी गाईड लाईन के अनुसार फटाखो पर पाबंदी के बाद बाजार मे मंदी रहने का डर सता रहा है लेकिन वही कुम्हार वर्ग अपने हाथो से दीपावली पर्व पर पूजा अर्चना मे काम आले वाले दिपक सहित अन्य सजवटी वस्तुएं बनाने मे जोर सोर से लगा हुआ है। कुम्हारों द्वारा बताया गाय की दीपावली पर्व पर वह पूरे साल भर कि कमाई करते है लेकिन इस बार सरकारी नियमो के तहत डर के कारण कम ही मिट्टी के सामान बना रहे है। इस बार सिर्फ हमारी मजदूरी निकल जाये वो ही काफी है। भगवान से दुआ है कि जितना माल बनाया है उसकी खप्त हो जो ताकि नुकसान नही हो ऐसे ही सभी कुम्हारो कि कहानी है।
लाखो मे होता है मिट्टी के बर्तनो का व्यापार, इस बार मायूस कुम्हार।
हर साल दीपावली से एक महा पूर्व ही मिट्टी के दिपको व बर्तनो सहित सजावटी समानो कि मांग शुरू हो जाती है, हर साल करीबन दीपावली पर लाखो रूपये का वयाार होता है। कुम्हार समुदाय पूरे साल भर कि अपनी मेहनत कि कमाई दीपवाली पर करता है। लेकिन इस बार ऐसा नही है लॉक डाऊन कि वजह से मिट्टी का काम बंद था अभी शुरू किया है लेकिन अभी तक बाजार मे मिट्टी के बर्तनो कि मांग नही आई है। इस बार सभी को काफी नुकसान होने का अंदेशा है। इस बार तो हमे अपनी मजदूरी मिल जाये वो ही काफी है।
विधुत लाईटे आने से दीपक कि खरीदारी पर पडा है असर विधुत सजावटी लाईटे विभिन्न प्रकार कि आ जाने से मिट्टी के दीपको कि खरीदारी पर भाी असर पडा है। मिट्टी के दीपक मंहगे होते है मिट्टी के बर्तन बना रहे श्रमिको ने बताया कि हमको मिट्टी खरीदकर लानी पडती है फिर इसको बनाना, आग मे पकाना सहित काफी मेहनत लगती है जिसके कारण मिट्टी के बर्तनो कि किमत बढ़ जाती है उसकी तुलना मे विधुत के सजावटी सामान काफी सस्ते दामो मे मिल जाते है, जो मजदूर को समझता है वो तो खरीदता है लेकिन बाकि मोलभाव कर आगे चले जाते है।