माउंट आबू | पिछले कुछ वर्षो से हर गर्मी के मौसम में माउंट आबू के जंगलो में आग घधकती रही है जहाँ 2018 में लगभग एक हफ्ते तक माउंट आबू के जंगल आग की चपेट में रहे तो इस वर्ष भी आबू के जंगल आग के हत्ते चढ़ते नज़र आ रहे है | और गत वर्ष की तरह अभी भी संसाधनों व रननिति की कमी के चलते राहत कार्यो में खासी परेशानी आ रही है |
कहाँ लगी आग
कल दोपहर से माउंट आबू मार्ग के जंगल में आग सुलगना शुरू हो गई थी, आर्यना हनुमानजी से लगभग 3 की.मी आगे जंगल की आग रात होते होते विकराल रूप में बदल गई, देर रात करीब 2:00 बजे सी.आर.पी.एफ की मदद से आग पर एक हद तक काबू पाया गया |
आज भी कई बीगा जंगल आग के हवाले
आह दोपहर साल गाँव के जंगल आग के हत्ते चढ़ गये जिसकी सुचना मिलने पर वन विभाग घटना स्थल पर पहुंचा और फिर वन विभाग के जवान आग भुझाने के लिए शंघर्ष करते दिखाई दिये |
आबूटाइम्स के एक्सक्लूसिव लाइव कवरेज का असर
आग के विकराल रूप की सुचना मिलने पर हम घटना स्थल पर पहुंचे और तुरंत लाइव कवरेज शुरू कर दिया जिस पर सी.आर.पी.एफ ने रियेक्ट किया और कमेन्ट कर घटना स्थल पर पहुचने की जानकारी दी, करीब 12:30 बजे सी.आर.पी.एफ के जवान व आई.जी मौके पर पहुंचे और तुरंत प्रभाव से वन विभाग व नगर पालिका के साथ आग भुझाने के कार्य में जुट गया |
संसाधन व रननिति की कमी, नहीं लिया अभी तक सबक
2018 में जब आग का विकराल रूप सबके सामने आया तो यह मंज़र सभी के लिए नया था और उस समय आग पर काबू पाने के लिए काफी शंघर्ष करना पड़ा था गौरतलब है यहाँ आर्मी, सी.आर.पी.एफ व एयर फाॅर्स है जिनके अथक प्रयास व संसाधनों के चलते एक हफ्ते बाद आग पर काबू पा लिया गया था |
लेकिन उस समय कहाँ गया था की आग से निपटने के लिए संसाधन जुटाए जायेंगे व रणनीति भी तैयार की जायेगी , लेकिन कल लगी आग ने फिर पोल खोल दी |
– जहाँ फायर ब्रिगेड पानी भरने बार बार नाके पर जा रहा था तो उस समय अगर पानी के टेंकर साथ होते तो समय भी बचता और आग भूझाने में इतना संघर्ष नहीं करना पडता |
– आपदा दल व वन विभाग अपने स्तर पर जंगल में उतर कर फायर लाइन बनाकर आग को रोकने की कोशिश करता रहा है लेकिन अगर सभी सदस्यों को ट्रेनिंग दी जाये व छोटे ग्रुप बनाये जाये जो की तुरंत प्रभाव से रणनीति के आधार पर आग भुझाने के कार्य करे तो वह ज्यादा असरदार व प्रभावी होंगे |
– आज के आधुनिक दौर में कई केमिकल बाल्स आते है जो की सेकंडो में एक बड़े इलाके में लगी आग को भुझा देता है |
– फायर एंड सेफ्टी विभाग से लेनी चाहिये मदद व उनके मार्गदर्शन से एक टीम गठित की जाये जो प्रभावी रूप से आबू के जंगलो को आग से बचाने में सक्षम हो |
एक बार यह सोच के देखे की अगर आर्मी, एयर फाॅर्स या केंद्रीय सुरक्षा बल यहाँ नहीं होते तो हम कितने सक्षम थे इस आग पर काबू पाने के लिए, झरझर अवस्था में रिपेयरिंग के नाम पर पर्यावरण का हवाले दिया जाता है और यु कुछ ही घंटो में कई बीगा जंगल राख हो जाता है | आबू के जंगल को आग से बचाने के लिए गंभीरता से चिन्तंत व आधुनिक संसाधनों की मदद से एक सशक्त टीम बनाने की अति आवश्यकता है |