14/जनवरी की तारीख का मतलब संक्रांत, पतंग, तिल के लड्डू आदि लेकिन बात अगर अमदावाद की हो तो एक और शब्द साथ जोड़ा जाता है और वो है टुक्कल, कुछ एसा ही नज़ारा इस साल भी देखने को मिला जब अमदावाद में आसमान, पतंग और टुक्कल के पीछे लुप्त हो गया और जिसे बखूबी निखिल ने अपने केमेरा में कैद किया और आबू टाइम्स के फोटोग्राफी अंक में शामिल किया गया |
बस एक बार यह डे देख लीजिये आप वैलेंटाइन्स डे भूल जायेंगे: दीपक अग्रवाल!!!
मकरसंक्रांति…!!! एक ऐसा त्यौहार जो पुरे देश में अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है। लेकिन अगर आप बात करो अमदावाद की तो यहाँ की बात ही कुछ और है। यहाँ के लोगों के लिए एक दिन तो कुछ भी नही है क्योंकि अमदावाद वालों का दिल मांगे मोर। यहाँ 15 जनवरी के दिन वासी -उत्तरायण मनाई जाती है। मतलब पुरे दो दिन यहा पर लोग हर्षोउल्लास के साथ इस त्योहार का मजा लेते है।
कम से कम एक बार सभी भारतवासियों को 14th और 15th जनवरि की शाम का आनंद अमदावाद में लेना चाहिए। ये दो शाम भारत के अमदावाद शहेर की ऐसी शाम होती है जहाँ आप पता नई लगा सकते की आज होली है, दीवाली है, या संक्रांति है। चारों तरफ लाउड स्पीकर्स में बजते तरह तरह के गाने और छत पे मित्रों और परिवार के साथ डांस करते हुए लोग। शामका नज़ारा तो कुछ ऐसा जहाँ आपको पतंगों के साथ रंग बेरंगी तुक्कल और पेरआशूट देखने को मिलेंगे। ये नज़ारा शामके 6:30 से 9:00 बजे तक देखने को मिलता है। कम से कम दस लाख तुक्कल मानो जेसे आप सितारों की दुनिया में खड़े हो। इससे ज्यादा रोमांटिक नजारा शायद ही आपको भारत देश में कहीं देखने मिले। बस एक बार आप यह नजारा देखलें फिर आप वैलेंटाइन्स डे को भी भूल जायेंगे। हो सके तो अपने जीवनकाल में इन दो दिनों का मजा अवश्य लें। आपको यहीं ज़मीन पर स्वर्ग का एहसास हो जयेगा।