26/02/2015 माउण्ट आबू, शहर के एक सामान्य से मजदूरी का काम करने वाले युवक ने एक बार फिर से अपनी प्रतिभा का लोहा अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनवा कर सिद्ध किया है,कि इस देश में पदक लाने वालों की कमी नहीं है, यदि कमी है,सरकार के इच्छा शक्ति व समाज के उस सम्बल व प्रोत्साहन की। जिसके बलबूते ये नवयुवा प्रतिभाएं हमारें देश व राज्य का नाम रोशन करने का माद्दा रखती है।
हाल ही में 23 फरवरी को पड़ोसी राज्य भूटान में 13$1 माइल्स लगभग 21 किलोमीटर की द्वितीय इन्टरनेशनल हाफ मैराथन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में माउण्ट आबू के सुनील लुम्बानिया ने 1 घंटा व 18 मिनट में अपनी दौड़ पूरी कर इस प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
पेशे से शहर के होटल्स में दैनिक मजदूरी का काम करने वाले सुनील लुम्बानिया ने यो तो माउण्ट आबू,अहमदाबाद,व देश के अन्य भागों में हुई मैराथन दौड़ की प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। लेकिन इस प्रकार के प्रतिभाशाली युवक को समाज व सरकार से किसी भी प्रकार की अतिरिक्त सहायता व प्रशिक्षण प्राप्त हो तो संभव है कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स व मैराथन में पदकों के लिए तरसने वाले हमारे देश की झोली में भी पदक प्राप्त हो जाएं। लेकिन इतनी बार अपनी प्रतिभा का दमखम दिखा चुके इस युवक की विड़बना ही कुछ ऐसी है कि यह अपनी दैनिक मजदूरी के दम पर एवं बिना किसी योग्य ट्रेनर व कोच की सहायता से यह एकलव्य स्वयं को साध रहा हे।
केवल अपने शौक के लिए। और मजेदार बात यह भी है कि इसके साथ में इसका छोटा भाई ब्रजेश लुम्बानिया भी रोजाना लम्बी मैराथन दौड़ का अभ्यास करता है। और उसकी आयु भी अभी 20 वर्ष ही है। माउण्ट आबू व अहमादाबाद में ब्रजेश भी पदक जीत कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका है।
News & Pic Courtesy: Kishan Vaswani