20/03/2015 शहर के सालगांव कैम्प साइट पर जैव विविधता पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस मौके पर वन विभाग की और से शहर के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को गुरूकुल आश्रम के निकट से गुजरते हुए जंगल क्षेत्र में से वन भ्रमण करवाते हुए करीबन पांच किलोमीटर के क्षेत्र में फेली विभिन्न जैविक औषधियों,वन क्षेत्र में मौजूद वनों,जंगली जानवरों की जानकारी प्रदान की गयी। कार्यक्रम के अंत में छात्रों के मध्य में निबंध व चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गयी।
जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़चढक़र भाग लिया।
कार्यक्रम के अंत शहर के जाने माने पर्यावरणविद् डॉ ए के शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह पृथ्वी पांच हजार से भी ज्यादा पुरानी है। और यही वह कारण है कि वह इसे मंगल व अन्य ग्रहों से भिन्न सिद्ध करती है। और वहीं शुद्ध पानी प्राण वायु आक्सीजन व पर्यावरण हमें फ्री में ऊपर वाले ने दिया है। उसी को सहजने व संभालने की जिम्मेवारी अब हम पर निर्भर है।
उपवन संरक्षक मोरध्वज सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि पहले यह देश सोने की चिडिय़ा माना जाता था। लेकिन अब क्यों नही? कारण है कि इसकी जैव विविधता ही इस देश की असल पूंजी थी जो कि या तो नष्ट होकर विलुप्त हो गयी है,अथवा उसी जैव विविधता का महत्व अब हमसे ज्यादा विदेशों ने समझकर उसका अनुसरण करने के लिए यहां की विभिन्न प्रकार की जैविक व प्राकृतिक पर्यावरण के पादप,औषधियों को अपने यहां पर ले जाकर उसका संरक्षण,संवर्धन किया और बहतुल्य मात्रा मात्रा में उसे नपाकर विश्व में अपनी धाक जमा रहे है।
इसलिए अब जो भी कुछ बच गया है उसे सहजने व संभालने के लिए हमें समाज के विभिन्न वर्गो में जन चेतना लानी होगी। और आने वाली पीढ़ी को इसका बहुमूल्य समझाकर इस अमूल्य सम्पदा को बचाने का प्रयास करना होगा।
News Courtesy: Anil Areean, Mount Abu