22/03/2015 माउन्ट आबू, सुहागनों के अखण्ड सुहाग का प्रतीक गणगोर पर्व का आज समापन सबसे बडे गणगोर जो 16वें दिन की होती है। उनके नक्की झील में भव्य विर्सजन के साथ हुआ। प्रातः से ही गणगारे की पूजा और हजारों महिलाओ ने अपने घरो से आकर मा गणगोर को पांच पांच वस्त्र चढाये उसके बाद प्रसाद आदि वितरित किये।
वहीं सुहागनो ने अपने घरों में पूजा अर्चना की फिर माउन्ट आबू के अग्रवाल पंचायत भवन बिहारी जी मन्दिर प्रांगण से सुहागनो ने भव्य गणगोर सवाली निकाली जो बैड बाजो के साथ नक्की झील पहुची जहां पूजा अर्चना कर अन्तिम गणगोर को नक्की झील में नौकाओं में ले जाकर नक्की झील के बीचों बीच विर्सजीत की गई।
नांचते झूमते और कई प्रार्थनाओ के बीच गणगोर की यह रस्म सबको भावुक कर गई। गणगोर उस विश्वास श्रद्वा और प्रतीक के रूप में उमडती है जब एक पत्नी अपने पति का हमेशा साथ पाने के लिये प्रार्थनाएं करती है। होली से शुरू होकर 16 दिन तक चलने वाली गणगोर की यह आस्था सदियो पुरानी है जो राजस्थान की संस्कृति में रस्ता बस्ता और धुलता है। माउन्ट आबू में हर बार की गणगोर यादगार होती है क्योंकि यहां गणगोर की विदाई देने के लिये नक्की झील जैसी पौराणिक झील मौजुद है।
News Courtesy: Anil Areean, Mount Abu