आबूरोड, जश्ने जियारते पाक मे हुआ तकरीर का आयोजन, जश्ने जियारते पाक के तहत तकरीर पेश करते हुये डाक्टर रफीक आलम हुसैनी ने कहा कि अपने वतन से मोहब्बत ही ईमान है, हमारे प्यारे नबी ने कहा कि अगर जो इंसान अपने वतन से मोहब्बत नही करता उसका इस्लाम मे कोई मकाम नही है। देर रात्री तक चले तकरीर मे नाते रसूल पेश कि गई वही सैंकडो कि संख्या मे अकिदतमंदो ने सिरकत कि।
मिल कोठी स्थित अब्दुल रहमान शाह बाबा कि दरगार पर हजुरे पाक कि मुबारक निशानियां कि जियारते का जश्र आयोजित किया गया, जश्र के दौरान शनिवार को तमिलनाडु के जलालाबाद से लाई गई सभी निशानियो को दरगाह परिसर मे रखा गया जहां पर निशानियो पाक की जियारत के लिये सैंकडो कि संख्या मे अकिदतमंद उमडे वही रात को तकरीर का आयोजन किया गया।
प्रोग्राम का आगाज चांदमारी के मौलाना रिजवान कादरी ने कुराने पाक कि तिलावत कर आगाज किया। तकरीर मे तमिलनाडु जलालाबाद से आये हजरत डाक्टर रफिक आलम हुसैनी ने तकरीर मे कहा कि ईस्लाम मजहब का संदेश है कि उसे प्यार मोहब्बते से फलाओ, जो लोग कहते है कि इस्लाम तलवार की नोक से फेला है तो मै उनको यह कहना चाहुगां इस्लाम ने हमेसा प्यार मोहब्बत सिखाया है, आप देखो हिन्दुस्तान कि सरजमीन पर ख्वाजा गरीब नवाज जिनके मजार पर हर कोम का इंसान आता है ओर अपना सर झुकाता है, आज तक कभी भी ख्वाजा कि दरगाह पर जो ढेग है उनमे मासाहारी खाना नही बना यह एक मिशाल है जो यह कहता है कि उन्होने भी सभी धर्मो का आदर करना सिखलाया है। जलालाबाद से आये नात खां इस्लाम बरकाती ने तमन्ना दिल की पूरी ऐ मेरे सरकार हो जाये, हमारी मौत से पहले मुस्तफा का दीदार हो जाये…। खडी है हूरे बसद ऐ एहतराम मै, आ रहे है नबीऐ गुलम जनन्त मै…।
मोहम्मद मोहसीन रजा ने अल्लाह पढता है दरूद अपने हबीब पर…। जिक्रे अहमद से सीना सजा है,इश्क है यह तमाशा नही है…। नाते ररूल पेश कि, इस दौरान मोलाना मैराज अहमद अशरफी, मोलाना हाजी हन्नान नूरी, मौलाना हाजी नूर आलम, मौलाना अलाहुल हक सहित जिले के मोलानो ने शिरकत कि। कार्यक्रम का मंच संचालन मौलाना तूफेल अहमद रिजवी ने कि देर रात्री तक चले इस प्रोग्राम मे सैकंडो क संख्या मे अकिदतमंदो ने शिरकत कि।
एक दिन मै 15 हजार सै ज्यादा लोगो ने कि जियारत
जोधपुर संभाग मे पहली बार पाक नशानियो कि जियारत
आबूरोड। हजुरे पाक कि मुबारक पाक निशानियो कि जियारत का आयोजन आबूरोड स्थित जरत अब्दुल रहमान शह कादरी कि दरगाह पर आयोजित कि जा रही है, मौलाना मैराज अहमद अशरफभ् ने बताया कि जोधुपर संभाग मे पहली बार एक साथ 10 पाक निशानियो कि जियारत का आयोजन कया गया है। शनिवार कि सांय 5 बजे से जियारत पूरी रात चलती रही पहले ही दिन करीबन 15 हजार से ज्यादा लोगो ने इस मुबारक पाक निशानियो कि जियारत कि, अशरफी ने बताया कि इन जियारत मे सभी धर्मो के लोगो ने कि जहां मुस्लान धर्म के लोग आये वही हिन्दु ,सिख , ईसाई धर्म के लोगो ने भी इन मुबारक निशानियो कि जियारत कर अपनी मनोकामनाएं मांगी। वही दरगाह कमेटी द्वारा आये हुये अकिदतमंदो के लिये लंगर का आयोजन किया गया, दरगाह कमेटी के डाक्टर हनुमान पारीख ने बताया कि यह हमारा सोभागय है कि इन मुबारक निशानियो कि जियारत कराने का हमे सौभागय मिला इसी के , जियारत के लिये जोधपुर संभाग के सभी क्षैत्रो से लोग आये वही गुजरात के अम्बाजी, अमीरगढ, पालनपुर, डीसा, कोटडा छावनी, उदयपुर, पाली, सोजत, शिवगंज, सिरोही, सुरपगला, मावल, हिम्मतनगर, महेसााणा सहित अन्य जगहो से हजारो कि संख्या मे अकिदतमंद जियारत करने आये सभी के लिये दरगाह कमेटी द्वारा भोजन कि नि:शुल्क व्यवस्था कि गई। मेराज अहमद ने बताया कि अकिदतमंदो कि भारी भीड को देखते हुये रविवार कि पूरी रात के साथ सोमवार को दोपहर तक इन पाक निशानियो कि जियारत जारी रहेगी।
यह है मुबारक निशानियां
मोहम्मद साहब के ढाडी के मुबारक बाल जो आज भी जिन्दा है, हुजुर साहब कि काली कमली शरीफ,हुजुर साहब के कदमे मुबारक के निशान वाला पत्थर,हजरत अबुबकर सिद्दिक रदियअल्लाहो तआला अन्हो की अंगुडी, हजरत उमर फारूक-ए-आजम रदियअल्लाहो तआला अन्हो का कौडा मुबारक,हजरत मौला अली रदियअल्लाहो तआला अन्हो कि तसबीह मुबारक, खातुने जन्नत बीबी फातेमा के दहेज के बर्तन मुबारक, खातुने जन्नत बीबी फातेमा की चादर मुबारक, कर्बला की वो मिट्टी जिसमे हजरते इमाम हुसैन का खुन आज भी शामिल है, हुजुर गौसे आजम कि ढाडी मुबारक का बाल।
750 साल पहले भारत कि सरजमीन पर लाया गया था इन पाक निशानियां को
– प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुये डाक्टर रफीक आलम ने दी जानकारी
आबूरोड। तमिनाडु के जलालाबाद की कुतुबे जहां अमीनुल ओलिया कि दरगाह पर यह सभी मुबारक निशानियां मोजुद है, जो कि विश्व धरोहर है इसे भारत के पुरातत्व विभाग के निर्देशन मे रखा गया है। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुये जलालाबाद दरगाह कमेटी के सर संचालक आलम ने बताया कि करीबन 750 साल पहले इसे मदिना से भारत कि सरजमीन पर उस वक्त के मोजुदा शासक सुल्तान फिरोज शाह तुगलक की मोजुदगी मे हजरत ख्वाजा बदीदुदीन हुसैनी गुजरात के पाटन लेकर आये थे, उसके बाद सभी निशानियो को कुछ समय बाद बिजापुर ले जाया गया वहां से हजरत ख्वाजा बदीदुदीन हुसैनी के वंसज इसे तमिलनाडु के जलालाबाद के कुतुबे जहां अमीनुल ओलियां कि दरगाी पर लाकर रखा दिया। अब हिन्दुस्तान मे विश्व धरोहर जिसमे करीबन 1 हजार के ज्यादा पाक निशानियां मोजुद है, इसे जब भी देश मे कोई अपने यहां मंगवाना चाहता है तो हमारी संस्था उसे लेकर जाती है आरे सभी को जियारत करवाती है। इसके संचालक डाक्टर रफीक आलम ने बताया कि इन सभी को देश के विभिन्न जगहो पर जियारत का हमारा खान मकसद है कि हम प्यारे रसूल कि पाक जिन्दगी को लोगो को बता सके ओर केसे उन्होने भाईचारा, प्यार, मोहब्बत,सच्चाई बतलाई है, उन्हेाने कहा कि आज इंसान हिसां कि ओर जा रहा है क्योकि उसमे अध्यात्मिक शिक्षा कि कमी है हमारी संस्था यह सब निशानियो को पूरे देश मे लेकर जाती है ओर साथ मे अध्यात्मिक शिक्षा भी देती है जिससे की हमारे प्यारे देश भारत मे सभी धर्मो व इंसानो मे भईचारा बढ सके। उन्हेाने कहा कि आप खुद देखे आज जहां मुस्लिम भाई जियारत को आ रहे है उससे कही ज्यादा दूसरे मजहबो के लोग आ रहे है, दरगाह कमेटी के डाक्टर हनुमान पारीख, लाला भाई जेसे ओर भी कई सदस्य है जो कि शायद मजहब को इंसानियत से काफी दूर रखते है ओर देश मे भाई चारे कि मिशाल पेश करते है। प्रेस वार्ता के दौरान मोलाना मेराज अहमद अशरफी, मौलाना तूफेल अहमद, दरगाह कमेटी के डाक्टर हनुमान पारीख, लाला भाई, शमशाद अहमद,पीर जादा नौशाद अली, पीर जादा नूर मोहम्म्द मोजुद रहे।
52 हजार सै ज्यादा लोगो ने कि जियारत
अकिदतमंदो ने कि दुरूद शरीफ पढकर विदाई,
आबूरोड। हजुरे पाक कि मुबारक पाक निशानियो कि जियारत का आयोजन आबूरोड स्थित जरत अब्दुल रहमान शह कादरी कि दरगाह पर आयोजित गई। सोमवार को दोपहर मे दरूद शरीफ पढते हुये पाक निशानियो को कि विदाई। 52 हजार से ज्यादा अकिदतमंदो ने कि जियारत।
मौलाना मैराज अहमद अशरफी ने बताया कि जोधुपर संभाग मे पहली बार एक साथ 10 पाक निशानियो कि जियारत का आयोजन किया गया है। शनिवार कि सांय 5 बजे से शुरू हुई जियारत सोमवार को दोपहर 12 बजे तक जारी रही। दिन रात जारी रही जियारत मे राजस्थान व गुजरात के हजारो की संख्या मे अकिदतमंदो ने कि जियारत। अशरफी ने बताया कि इन जियारत मे सभी धर्मो के लोगो ने कि जहां मुस्लान धर्म के लोग आये वही हिन्दु ,सिख , ईसाई धर्म के लोगो ने भी इन मुबारक निशानियो कि जियारत कर अपनी मनोकामनाएं मांगी। वही दरगाह कमेटी द्वारा आये हुये अकिदतमंदो के लिये लंगर का आयोजन किया गया। डाक्टर रफीक आलम ने बताया कि सिर्फ जालालाबाद मे उर्स पर ही दिन रात इन पाक निशानियो कि जियारत करवाई जाती है लेकिन आबूरोड मे जायरिनो के हुजुम के आगे हमे पहली बार जियारत को रात ओर दिन जारी रखना पढा, दो दन मे पहली बार इतनी संख्या मे जियारत कि गई। 18 अप्रेल को जलालाबाद मे उर्स होने के कारण हमे यहा से रवाना होना पढ रहा है नही तो हम इसे दो दिन ओर रखते। आबूरोड के लोगो व अब्दुल रहमान शाह दरगाह कमेटी, नोजवान मुस्लिम कमेटी द्वारा इस दौरान वहुत सहयोग दिया गया। सोमवार कि दोपहर मे सैकडो की संख्या मे अकिदतमंदो की मोजुदगी मे सभी निशानियो को गुस्ल देकर संदल दिया गया वही सभी ने दुरूद शरीफ पढते हुये सभी पाक निशनियो को विदाई दी। दरगाह कमेटी के डाक्टर हनुमान पारीख ने बताया कि इन मुबारक निशानियो कि जियारत कराने का हमे सौभागय मिला इसी के , जियारत के लिये जोधपुर संभाग के सभी क्षैत्रो से लोग आये वही गुजरात के अम्बाजी, अमीरगढ, पालनपुर, डीसा, कोटडा छावनी, उदयपुर, पाली, सोजत, शिवगंज, सिरोही, सुरपगला, मावल, हिम्मतनगर, महेसााणा सहित अन्य जगहो से हजारो कि संख्या मे अकिदतमंद जियारत करने आये सभी के लिये दरगाह कमेटी द्वारा भोजन कि नि:शुल्क व्यवस्था कि गई।
News and Pic courtesy: Laieq Ahmed, Abu Road