चौहान कुल के देवड़ा वंश ने 1206 ईस्वी सन् स्वर्णगिरि (जालौर) से आकर इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य साथ स्थापित किया राज्य की प्रथम राजधानी बरलुट रही ! इसके बाद वाडेली इसके बाद 1307 ईस्वी सन् में महान शासक विजय राजजी ने चंद्रावती पर अधिपत्य स्थापित किया ये नगरी पूर्व अरावली से पश्चिम में आबू तक थी इस विशाल नगरी में 999 झालर बजती थी बताते है की जिस शहर में 1000 मंदिर थे वो शहर कैसा होगा ! जब कोई इस शहर में रहने आता था तो राजा के आदेश पर प्रति घर से उसे एक ईंट और एक रुपया दिया जाता था जिससे वो अपने घर का निर्माण कर सके और वयवसाय कर सके 1392 ईस्वी सन में शिवभाण का राज्यारोहण हुआ और 1395 में गुजरात के सुलतान ने अति विशाल सेना से आक्रमण किया और चंद्रावती नगरी को पूर्ण ध्वस्त कर दिया यहॉ के देवड़ा शूरवीरता से लड़े परन्तु इस नगरी को नही बसा सके 1395 में आबू की गोद में राजा अमरीश की राजधानी अमरावती को अपनी राजधानी बनाई जो अपभ्रंश में उमरणी कहलाती है !
1405 ईस्वी सन् में शिवपुरी नगर बसाया जो आज खोबो की सिरोही नाम से प्रसिद्ध है 1425 में शिवभाण के पुत्र एवम् उत्तराधिकारी महारावल सहस्त्रमल ने सिरोही। राजमहल और दुर्ग का निर्माण करवाया यह राजमहल 600 साल पुराना है परन्तु उसमे महारावल मान (1563-1572)ईस्वी सन् में झाली रानी महल बनवाया महारावल अक्षय राज द्वितीय ने (1620-1673) में सिरोही स्कूल ऑफ़ पेंटिंग की स्थापना की , राजमहल को भीति चित्र झरोखो एवम् अन्य कलाकृतियौ से सुशोभित किया एवम् हिज हाइनेस महाराव केसरी सिंह साहेब बहादुर ऑफ़ सिरोही (1875-1925) ने बड़े पैमाने पर जिर्णोदार करवाया तब इस नगर का नाम सिरोही रखा गया लाखेलाव तालाब् जिसका निर्माण नगर वासियो के हित में महाराव लाखा (1450-1483) में करवाया ,दूसरा कालकाजी तालाब जिसका महाराव लाखा ने माहाकाली की प्रतिस्ठा करके करवाया और तीसरा मान सरोवर जिसे बिचला तालाब केसरिसिंह ने अकाल राहत में कराया सिरोही में जितनी बावडिया है उनका निर्माण सिरोही की महरानी और राजकुमारियां ने जनहित में करवाया !हिज हाईनेस केसरीसिंह (1875-1925) एवम् हिज हाइनेस सरूपराम सिंह जी(1925-1946) ने केसर पैलेस एवम् सरूप विलास पैलेस ,यूरोपियन गेस्ट हाउस इन्डियन गेस्ट हॉउस सरूप सदन बग्गी खाना, कालेज ,हॉस्पिटल ,बगीचे ,सड़के एवम् सारी सरकारी इमारते व् अन्य जनहित कार्य व् निर्माण करवाये |
News Courtesy: Raman Goyal, Mount Abu