माउंट आबू, प्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस एस एस कोठारी ने नगर पालिका पुस्तकालय में शहर के गणमान्य लोगों के साथ में प्रसाशनिक अधिकारियों की बैठक ली| माउंट आबू व् आबूरोड समेत प्रदेश के अन्य प्रकरणों का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि, आबूरोड का एक प्रकरण 1998 में दर्ज हुआ था मुहावजे का। उस समय में 1 लाख 98 हजार का रहा होगा लेकिन समय पर निस्तारित नहीं होने के कारण से वह प्रकरण आज भी लम्बित है, और मुहावजा राशि बढ़कर आज 21 लाख से अधिक हो गई है। उन्होंने इसी प्रकार के उदाहरण देते हुए कहा कि, आखिर में किसी भी मामले को इतना लंबित ही क्यों रखा जाता है कि, उसका न्याययिक स्वरूप ही बदल जाए|
मिडिया से मुकातिब होते हुए उन्होंने कहा कि,भ्रस्टाचार को हमारे समाज ने एक कार्य करवाने का प्रमुख माधयम बना लिया है और सरकारी योजनाओ में जो राशि आवंटित होती है, उसका आधिकांश भाग योजनाओ को बनाने में और भूमिका बनाने में ही ख़र्च हो जाता है। उसके बाद में धरातल पर उस राशि का बहुत कम सदुपयोग होता है,और अधिकतम राशि भ्रषटाचार के ही भेंट चढ़ जाती है|
लोकायुक्त ने माना कि, लोकायुक्त को वर्त्तमान में अभियुक्त के विरुद्ध में अभियोजन(प्रोशिक्यूशन) का अधिकार नहीं होने से वह परिणाम नही आ पाते,जो आने चाहिए। और जो कानून 1952 में तत्कालीन परिस्थितियों को धयान में रखकर के बनाए गए थे,उसमे और आज की परिस्तिथियों में दिन-रात का अंतर है,और उसमे सुधार के लिए राज्य सरकार को कई बार लिखा जा चूका है कि,राजस्थान में भी कर्नाटक व् महाराष्ट्र के पैटर्न का लोकायुक्त हो| जिसे जाँच एवं अभियोजन (प्रोशिक्यूशन एंड सर्च) का अधिकार हो|