दादा मस्तान शाह बाबा के उर्स पर कव्वाली का आयोजन
आबूरोड, दादा मस्तान शाह के सालाना उर्स के मौके पर कव्वाली के शानदार मुकाबले का आयोजन किया गया। कवालो द्वारा देशभक्ति सहित ख्वाजा की शान मे कवालीयों पेश की गई। गजलो से नोजवानो सहित बुर्जुगो की खुद बटोरी दाद। शहर के गणमान लोगो रहे मोजूद।
छोटी मस्जिद के समीप उर्स के मुबारक मोके पर कवाली का आयोजन किया गया। मुकाबले की शुरूआत मुम्बई से आये सुप्रसिद्ध टी.वा कलाकार छोटे मजीद शोला ने हिंदल वली की शान में कव्वालियां पेश करते हुये गरीब नवाज मुझ गरीब की लाज रख ले…। जो समन्दर में मछली को खिला रहा हे, तेज धूप में फसलो को पका रहा है वही मेरा खुदा है……।
ख्वाजा मोईन को हम आंखो मे बसायेगें, चलो जी चलो हम अजमेर जायेगें……। इसके बाद कौमी एकता पर हाथो मे गीता सीने मे कुरान रखते है, भाईचारे का शंख व अमन की अजान पडते है……। वतन से प्यार न हो तो मुस्लमा हो नही सकता… …। इसके बाद उन्होनें दादा मस्तान के उर्स के मौके पर उनकी शान में उर्स ऐ दादा मस्तान मनाया जा रहा है, आपको अकिदत से बुलाया जा रहा है, दादा का उर्स मनाया जा रहा है…। आले अली औलादे नबी, मस्तान वली मेरे राजा है…।
रात दिन शहर हम पर नजर रखते हे, नाम ख्वाजा हे गरीबो की खबर रखते हे……। इसके बाद बेलगाम से आये कवाल मुराद अतीश ने वलीयों की मोहब्बत वाले हे हम लोग मोहम्मद वाले है…। भरोसा तुझपे है ऐसा मुझे गरीब नवाज, रहम आयेगा मुझ पर तुझे गरीब नवाज…। कौमी एकता पर एक फूल तुट जाए तो गुलजार रो पडे, हिन्दु का घर जले तो मुसलमां रो पडे…। इस पर उन्होने खूब दाद बटोरी उसके बाद, मैरे घर या अल्लाह बरकते अता कर दे…। पहले इंसान को इंसा बनाया जाए, उसके बाद पाठ मजहब का पढाया जाए…।
हजारो तोड दो मंदिर मस्जिद, अगर हम नही टूटे तो हिन्दुस्तान न टूटेगा…। देर रात्री तक चले प्रोग्राम मे कवालो द्वारा एक से बढकर एक कवालीयों पेश कर श्रोताओ को लुभाये रखा। कार्यक्रम में शहर समेत, पालनपुर, अमीरगढ, अहमदाबाद, मेहसाना, अम्बाजी, सिरोही, स्वरूपगंज, मंडार, रेवदर, सुमेरपुर, पाली, कोटडा छावनी सहित शहरो व गांवो से हजारो की संख्या में लोग मोजूद रहे।
इस दोरान नन्हा कुरेशी, शाबिर कुरेशी, रशीद कुरेशी, रफीक बेलिम, लईक अहमद, मोहम्मद जुनेद आदिल, अब्दुल रहमान, शाबीर कुरेशी,सज्जाद खांन, रज्जाक भाई, हनीफ बेलिम, कदीर कुरैशी, ,रईस कुरेशी, फिरोज कुरेशी, समद खां, जावेद कुरैशी, दिलावर खान, युनुश चंदीजा, मोहम्मद चंदीजा सहित दादा मस्तान कमेटी के सदस्यों ने व्यवस्थाएं सम्भाली।
गजलों ने छुआ दिल को
गजल के दौर मे पहुचते हुये मुराद आतीश ने उस सफर का आखिरी मंजर तुझे केसा लगा, सच बता मुझसे जुदा होकर तुझे केसा लगा…। तुम्हारी याद बहुत आई, चले आओ तनहाई बहुत है…। आज सनम फिदा हो गया, ऐ मोहब्बत ये क्या हादसा हो गया… ..। मजीद शोला ने हसने का ओर लोगो को मौका न दिजीये, इस भीड ने हर एक को रास्ता न दिजीये…।
दगा फरेब जमाने में रह गया, मैं फिर भी दोस्ती निभाने में रह गया…। मुझे जिन्दगी यू भूल जानी पडेगी, मोहब्बत की राहो मे ठोकर खानी पडेगी…..। ऐ दिल क्यो तडप रहा है उसकी याद मे, वो तुझे भुल नही सकती किसी ओर की चाहत मे…..। दोनो फनकारो द्वारा दर्द के साथ प्यार भरी गजलो से नोजवानो सहित बुर्जुगो की खूब वा वाही लूटी।
बेटी बचाओ- बेटी पढाओं की दी सीख
मुम्बई से आये कवाल छोटा मजीद शोला ने बताया की वह उनके द्वारा बेटी बचाओं- बेटी पढाओं को लेकर एकमिशन चलाया जा रहा हे जिसके तहत वह देश के विभिन्न शहरो व गांवो मे जाकर इसका संदेश दे रहे है, इसी संदेश के साथ उन्होने बेटियां है जन्नत की कुजियां…। बुढापे में जब बेटे छोड देते है साथ, तब मां -बाप को संभालती है बेटियां…। कलाम पेश करते हुये सभी से इस मिशन में सहयोग करने का आग्रह किया।
संदर की रस्म के साथ उर्स सम्पन्न :- दादा मस्तान शाह बाबा उर्स के मुबारक मौके पर कई आयोजन किए गए। उर्स पर बुधवार की सवेरे संदल की रस्म के साथ सम्पन्न हुआ। इससे पूर्व कुरआन खानी का आयोजन किया गया। सवेरे दरगाह परिसर को गुलाब जल से धो कर संदल की रस्म अदा कर उर्स का समापन किया गया।