आबूरोड। राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि विश्व की किसी प्रथम आध्यात्मिक विभूति के जन्मशताब्दी महोत्सव का आयोजन आबू रोड में होने से मरूभूमि के गौरव को चार चांद लग गए हैं। लगभग 140 देशों से हजारों की संख्या में महानुभावों के शांति की खोज में शांतिवन आगमन से न केवल ब्रह्माकुमारी संस्था बल्कि राजस्थान सरकार का भी मान-सम्मान बढ़ा है। प्रदेश के प्रत्येक कोने में सक्रिय इस महान संस्था से विकास कार्यों में सहयोग की अपेक्षा रहती है। मुझे विश्वास है कि दादियों के आशीर्वाद से हमने राजस्थान को आदर्श प्रदेश बनाने की जो कल्पना कर रखी है उस पर अवश्य ही खरे उतरेंगे। श्री कटारिया ने दादी जानकी को जन्मशती पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं भेंट की।
शताब्दी समारोह के इस सत्र का शुभारंभ रूस से आए गायक अल्बर्ट द्वारा हिन्दी गीत सबका मालिक एक है फिर क्यों बांटा हुआ संसार है… की प्रस्तुति से हुआ। कॉरपोरेट सेक्टर में देश की प्रथम बैंक प्रमुख एवं वर्तमान में व्यावसायिक बैंकों में घपले रोकने के लिए सरकार द्वारा गठित आयोग की अध्यक्षा रंजना कुमार ने संस्था से पांच वर्षों के जुड़ाव के आधार पर कहा कि ब्रह्माकुमारीज जीवन में सहजता, शांति व संतोष की भावना का संचार करती है। तनाव रहित कार्यकत्ताओं के चेहरों पर हर पल, हर क्षण उमंग व उत्साह उभरता दिखाई देता है। यह सेवानिवृत्ति के बाद भी जीवन प्रबंधन की कला सिखने और समाज सेवा से जुडऩे इच्छुक लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
हमें इस धरती से यह संदेश मिलता है कि यदि नियत साफ है तो लक्ष्य प्राप्त करना कठिन नहीं है। कार्यक्षमता और ईश्वरीय ज्ञान अवश्य ही सही दिशा प्रदान करेगा। अमेरिका से आए शांति व मानवाधिकारों के क्षेत्र में नाम कमाने वाले मंत्री माइकल मोरन ने कहा कि दादी जानकी ने पूरे विश्व में शांति का संदेश फैलाया। हमारा नैतिक कत्र्तव्य है कि इस संदेश से कोई भी प्राणी अछूता न रहे। दादी के प्रति शुभ भावनाएं व्यक्त करने वालों में छत्तीसगढ़ के विपक्ष के नेता टी.एस.सिंहदेव, हाइट्रो गु्रप हैदराबाद के अध्यक्ष डॉ.वी.पार्थसारथी रेड्डी भी शामिल थे। रामकृष्ण मिशन कलकत्ता के स्वामी सम्पूर्णानंद ने कहा कि राजयोगिनी दादी जानकी द्वारा सौ वर्ष का स्वस्थ एवं सक्रिय जीवन बिताना नि:संदेह अद्भुत एवं प्रेरणादायी है। जिस शांति की दादी संदेश वाहक हैं वह हमारे जीवन में तभी आ सकती है जब हम दुसरों में दोष ढूंढऩा बंद कर देंगे।
सभा में तब अत्यंत विलक्षण दृश्य पैदा हुआ जब पंजाबी ढोल की थाप के बीच संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी व सह मुख्य प्रशासिका दादी ह्रदयमोहिनी ने खचाखच भरे डायमण्ड हॉल में प्रवेश किया जब दादी जानकी ने संगीतमय ताली बजायी तो उनके सम्मान में अपने स्थानों से खड़े हजारों नर-नारियों ने तब तक ताली बजाना जारी रखा जब तक दादियां मंच पर विराजमान नहीं हो गई। संगठन सचिव बीके मृत्यंजय ने दादियों व वरिष्ठ अतिथियों का अभिनंदन किया। इस अवसर पर दादी जानकी को पुण्य भूषण अवार्ड व पुनेरी पगड़ी भेंट करके सम्मानित किया गया। दोनों दादियों ने मिलकर केक काटा और विभिन्न महानुभावों ने शॉल व स्मृति चिन्ह भेंटकर के उनका स्वागत किया। समारोह के दौरान मूल्य शिक्षा अभियान के बारे डॉ.बीके पांडयामणि भाई, राजयोग मेडिटेशन व रिसर्च प्रोजेक्ट के बारे में डॉ.सतीश गुप्ता तथा स्पर्श संस्था के सहयोग से संचालित स्वमान प्रोजेक्ट के बारे में नीति आयोग के अपर सचिव डॉ.डी.दास ने विस्तृत जानकारी दी। तीनों अभियानों का विधिवत उद्घाटन किया गया।
मानवीय अधिकारों के क्षेत्र में ख्याति अर्जित कर चुके डी.आर.कर्तिकेन ने दादी जानकी को दिव्यता की देवी बताते हुए कहा कि शांति की स्थापना सर्वप्रथम अपने परिवार से करनी होगी। उसके बाद ही इसे समाज व देश के स्तर पर स्थापित करना संभव होगा। पूर्व न्यायाधीश व वैट ट्रिब्यूनल पंजाब के अध्यक्ष जास्टिस ए.एन.जिंदल, बंगलोर के डी.एस.परमेश्वैया, फिल्म अभिनेत्री वर्षा उसवांगकर, हरियाणा के मुख्य संसदीय सचिव बख्शी सिंह ने दादी जानकी की उपलब्धियों को अद्वितीय करार देते हुए उन्हें हार्दिक शुभकामानाएं अर्पित की। इस अवसर पर यह भी बताया गया दादी जानकी अप्रैल माह में करनाल भी जाएगी।
झारखण्ड की राज्यपाल द्रोपदी मुरमु ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधन के दौरान कहा कि प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों में अगले शिक्षा सत्र से मूल्य शिक्षा पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। नयी पीढ़ी को नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाने के लिए संस्था द्वारा चलाए जा रहे प्रकल्पों में सभी विश्वविद्यालयों के सहयोग की कामना की। लंदन से आए महेश भाई ने स्वयं उपस्थित होकर शुभकामनाएं दी जबकि कैलिफोर्निया अमेरिका के प्रतिनिधि डॉ.अमीबेरा का विडियो संदेश प्रस्तुत किया गया। दादी जानकी व दादी ह्रदयमोहिनी ने अपने संदेश में कहा कि करूणा, प्रेम, सहनशीलता, संतुष्टि व शुभ इच्छाएं जीवन बदल सकती हैं। कोई भी ऐसा कार्य न करे जिससे किसी को ठेस पहुंचे स्वयं को परिवर्तित करने का प्रयास करें। जो सहजयोगी बनेगा वह अपने आप सहयोगी भी बन जाएगा। बुरी बातों को नजरअंदाज करो, दूसरों की अच्छी बातें को अपनाओं।