श्री राजस्थान गो सेवा समिति ने सीएम के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
श्री राजस्थान गोसेवा समिति के सदस्यों ने जैविक कृषि , स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण में देशी गोवंश का योगदान तथा केन्द्र एवं राज्य सरकार से जन अपेक्षाएं एवं सरकार का दायित्व को लेकर समस्त शुक्रवार को रैली के रूप में एकत्रित होकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां पर उन्होंने जिला कलेक्टर के मार्फत मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में उन्होंनें अवगत कराया कि प्रदेश के मुखिया का पद दूसरी बार संभालने से पूर्व आप द्वारा पूरे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों के साथ सुराज संकल्प यात्रा के दौरान प्रदेश में गोरक्षा का संकल्प लिया था,उसके बाद भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र जारी करने से पूर्व राजस्थान गो सेवा समिति के पदाधिकारियों के साथ पाटऱ्ी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बैठक़ पर गोरक्षा व गो संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेकर इसे पाटऱ्ी के घोषणा पत्र में स्थान दिया था, जो बाद में सरकार बनने पर मंत्री मंडल द्वारा इसे राज्य सरकार दस्तावेज स्वीकर कर इसमे गणित विषयों पर कार्य करना शुरू किया, लेकिन अफसोस है कि दो वर्ष की लंबी अवधि पूर्ण होने के बाद भी कोई भी कार्य नही किया है।
वहीं उन्होंने लिखा कि गोपालन को प्रोत्साहन देने के लिए गोपालकों एवं गोशालाओं के लिए गो माता परिवार कार्ड बनाया जावे,जिसमें उनके द्वारा पोषित गोवंश के जन्म मृत्यु का पंजीयन अनिवार्य किया जावे तथा बिना दूध देने वाले गोवंश के संपोषण के लिए उन्हें विशेष अनुदान दिया जावे, प्रत्येक ग्राम अथवा पंचायत स्तर पर नर गोवंश तथा निराश्रित गोवंश को आश्रय एवं आहार प्रदान करने के लिए गो सेवा सदनों की स्थापना की जावे साथ ही गोवंश को कत्ल खाने से भी बचाया जावे |
प्रत्येक ग्राम एवं ग्राम पंचायत स्तर पर गोबर से खाद् बनाने,ऊर्जा उत्पन्न करने, गोबर गेस बनाने तथा कागज आदि निर्माण करने सहित गो मूत्र से गोमूत्र अर्क,कीट नियंत्रक एवं फिनायल जैसे रसायन तैयार करने के लिए लघु उद्योग स्थापित किया जावे, प्रत्येक गांव में गोसंवर्धन की स्थापना की जावे,जिसमें उन्नत नस्ल के नन्दियों के रख-रखाव की व्यवस्था हो इससे गाय के दुध उत्पाद में वृद्वि होगी। गोबर मूत्र की खाद तथा बेलों द्वारा उत्पादित कृषि, अन्न, फल, सब्जियोंं का गुणवत्ता के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य पर क्रय करने का प्रबंध किया जावे,ताकि गोपालन व जैविक कृषि को प्रोत्साहन मिल सके।
बैल आधारित कृषि करने वाले किसानों को एवं बैलगाडी परिवहन आदि कार्य करने वाले किसानों को प्रति बैल अधिकतम प्रोत्साहन राशि दी जावे, गोचर भूमियों का सीमाकंन किया जावे और इन्हें अतिक्रमणों से मुक्त किया जावे, गो सेवा सदनों एवं गोशालाओं को प्राथमिकता के आधार पर सरकारी भूमि आवंटित की जावे और सरकारी भूमि पर जो गोशालाएं संचालित है उनका नियमन किया जावे, सरकार भूमि तथा गोचर, वन भूमियों से प्राप्त राजस्व मे से गोशालाओ को पच्चास प्रतिशत हिस्सा राशि दी जावे।
गोरक्षा कानून को सख्त बनाया जावे, गोवंश को अवैद्य रूप से परिवहन करने वाले वाहन मालिक, व्यापारियों तथा कसाईयों को अपराधी माना जावे एवं उचित दंड का प्रावधान किया जावे। इन सभी व्यवस्थाओं के लिए एक स्वतंत्र गोपालन मंत्रालय की स्थापना हो।
विधायक, सांसद, क्षेत्रिय निधि विकास कोष एमएलए, एमपी-लेड फंड से अपने क्षेत्र की पंजीकृत गोशालाओं के विकास एवं प्रबंध में निर्माण कार्याे एवं अन्य प्रबंधकीय कार्याे के लिए अपने फंड से एक ही बार राशि स्वीकृत करने के प्रतिबंध को हटाया जावे तथा विदेशी नस्ल के नर गोवंश के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान पशु स्वास्थ्य केन्द्रों पर न कराया जावे साथ ही नर गोवंश तथा बैलो द्वारा बिजली उत्पाद में बिजली संयत्रों के निर्माण में तकनीकी सुधार किया जावे। उन्होंने लिखा कि इस पर यथा संभव तथा यथाशीघ्र ही उपरोक्त बिंदुओं पर संबधित विभाग के उच्चाधिकारियों को आपेक्षित कार्रवाही कने के लिए आदेश पारित करावे।