एक सदी पूर्व का माउण्ट आबू – जीवन्त अनुभव कराती मानवता के पथ पर।
माउण्ट आबू | आज से ठीक, पूर्व की एक सदी के जीवन्त वृतांत से माउण्ट आबू वासियों को परिचित होने का अवसर सोमवार की देर शाम को होटल हिल्लॉक में मिला। अवसर था माउण्ट आबू के नगर पालिका पूर्व पालिकाध्यक्ष के साथ-साथ अपने समय के नामचीन नेता रहे बद्री लाल अग्रवाल की ऑटो-बायोग्राफी यानि आत्मकथा के लोकापर्ण का। इस पुस्तक का संकलन करने में पूर्व पालिकाध्यक्ष के सबसे छोटे पुत्र निर्मल अग्रवाल व उनके पौत्र कपिल अग्रवाल सहयोग रहा । तो सम्पादकीय में बैकुण्ठ नाथ के साथ में सह सम्पादक प्रोफेसर उषा चांदणा एक बीती हुई सदी के इतिहास को ऐतिहासिक शब्दों में पिरोया। गौरतलब है कि,१९६२ से लेकर के १९६७ तक एवं १९८० से १९८३ तक की समयावधि के दौरान वे नगर पालिकाध्यक्ष भी रहें।
‘‘मानवता के पथ पर’’पुस्तक लिखी तो पूर्व पालिकाध्यक्ष बद्री लाल अग्रवाल की जीवणी पर है। लेकिन इसको पूर्ण रूप से पढऩें पर हमें इस पर्वतीय पर्यटन स्थल का भूत एवं वर्तमान दोनों को जान लेने व समझने की जानकारी भी होती है कि,अजीब ही संयोग होगा कि,जिस पुस्तक से हमें माउण्ट आबू के भूत का जीवन्त दर्शन होता हो,उस युग पुरूष यानि स्वर्गीय बद्री लाल अग्रवाल का जन्म भी माउण्ट आबू के पास भूत गांव में हुआ था।
अपने जमाने के गांधीवादी विचारक व माउण्ट आबू में कांग्रेस पार्टी की नींव रखने वाले ३ नवम्बर १९१४ को भूतगांव में हुआ था। यही के सरकारी स्कूल में आठवीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे अजमेर के गवर्नमेन्ट हाइ स्कूल में उच्च शिक्षा प्राप्त करने चले गए। अपने जीवन में अदालत की नौकरी की,व होम्यापेथी व एलॉपेथी का अध्ययन करते हुए उन्होंने निशुल्क समाज सेवा की। सबसे अहम १९४२ के अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन में उनकी अग्रणीय भूमिका रही व उसी समय में उन्होंने कांगे्रस पार्टी की स्थापना की थी। पर्वतीय पर्यटन स्थल के विकास में सक्रिय योगदान प्रदान किया। उनके जीवन्त वृतान्त पर बद्री लाल अग्रवाल की तीसरी पीढ़ी ने इस पुस्तक के संकलन का बीड़ा उठाया था। ओर करीबन दो तीन वर्षों की मेहनत से प्रकाशन संभव हो पाया।
सोमवार को होटल हिल्लॉक में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि ब्रह्माकुमारी संस्था के पीस ऑफ माइन्ड के चैनल हैड करूणा भाई अपने सम्बोधन में बद्री लाल अग्रवाल के जीवन संस्मरण सुनाते हुए कहा कि,वे हर समय सभी सहायता करने वाले व्यक्तित्व थे। संस्था को भी अपने आरम्भिक काल में उनसे खासा सहयोग मिला। तो पुस्तक की सह सम्पादक उषा चांदणा ने बद्री लाल की मूर्ति माउण्ट आबू में लगाने की अपील की। होटल हिल्लॉक के एम डी सुनील अग्रवाल ने बताया कि वे उनके मामाजी लगते थे,व उन्होंने ही नक्की झील के पास में मगरमच्छ गार्डन आज स्वामी विवेकानन्द पार्क को बनवाया था। कार्यक्रम में उनकी बहु प्रीति अग्रवाल,पौत्र कपिल अग्रवाल,अग्रवाल समाज के अध्यक्ष गोविन्द भागीरथ अग्रवाल व वरिष्ठ सदस्य रमण लाल अग्रवाल,समेत सैकड़ों गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।