पेसिफिक कला महाविद्यालय में सोमवार को भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के संरक्षण एवं विकास में बाप्पा रावल कस योगदान पर एक दिवसीय राष्ट्रिय संगोष्टी का आयोजन किया गया | इस संघोष्टि में इतिहासकारों और शोधार्थियों ने विचार प्रकट किये | इस संगोष्टी पर बप्पा रावल के जीवन के पहलुओ को उजागर किया गया, साथ ही इस अवसर पर 70 शोधकर्ताओ ने अपना पत्र सबके समक्ष वाचन किया|
संगोष्टी आयोजन समिति के सचिव डॉ. अजात शत्रु सिंह शिवरती ने बप्पा रावल को मेवाड ही नहीं अपितु भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ एसा प्रसंग है जो की,अरब के सम्राज्य के विस्तार को रोकने में एक दीवार की भांति अडिग रहा | इस विषय में शोध सामग्री का भरी मात्र में आभाव है, अतः अध्य्ताओं का एक दायित्व बनता है की, संगोष्टी के माध्यम संगोष्टी के माध्यम से तात्कालिक भारत के इतिहास को व्यापकता प्रदान करते हुए, भारत में अनछुए पक्षों को समाज के सामने रखे थे| और साथ ही जो भी पेपर वाचन किये गए उनको एक पुस्तक में समायोजित किया जाएगा |
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