उपासना से होती है भगवान की प्राप्ति-मनसुखजी


| March 11, 2016 |  

सात दिवसीय भागवत कथा का हुआ समापन
पिछले सात दिन से चल रही स्थानीय कुम्हारवाडा स्थित रामद्वारा आश्रम में गादीपति संत भजनाराम जी महाराज के सानिध्य में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का शुक्रवार को समापन किया गया। रामद्वारा आश्रम के विजय प्रकाश वैष्णव ने बताया कि शुक्रवार को समापन के अंतिम दिन कथा वाचन संत श्री मनसुख जी महाराज ने बताया कि भागवत कथा श्रवण एवं भगवान की उपासना करने मात्र से ही मनुष्य को मुक्ति मिलती है।

कथा वाचन के दौरान महाराज श्री ने बताया कि शास्त्रों में वर्णन आता है कि भगवान श्री कृष्ण ने 16 हजार 108 विवाह किए थे तथा बताया की ये नारियां भामासूर नामक राक्षस क कैद मे थी,जिनको भगवान ने बंधन से मुक्त कराया था तथा उन्हें अपनी शरण में लिया था,लेकिन यहां पर एक प्रश्र उठता है कि इतनी सारी नारियां कहा से आई थी और वें कौन थी। तब भगवान समझाते हुए कहते है कि कर्मकांड में वेद के तीन कांड है,ज्ञान,कर्म व उपासना। जिसमें कर्म कांड के अस्सी हजार मंत्र है,ज्ञान कांड में चार हजार तथा उपासना कांड में सोलह हजार मंत्र है,यह सोलह हजार मंत्र ही उपासना कांड के एक-एक नारी का रूप धारण करके आए व अंत में भगवान की शरण मे चली गई। इससे यह निष्कर्ष निकलता है है कि भगवान की उपासना करने से भगवान की प्राप्ति होती है।वैष्णव ने बताया कि अंत में समापन के मौके पर समस्त भक्तों ने महाआरती की।

संपादक
हरीश दवे, सिरोही

 

 

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