राजयोगिनी मोहिनी बहन के अंतिम दर्शनार्थ श्रद्धालूओं का लगा तांता


| September 8, 2016 |  

माउंट आबू । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रबंधन समिति सदस्य, ग्रामीण सेवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजयोगिनी बीके मोहिनी बहन के अंतिम दर्शनार्थ को लेकर गुरुवार को निकाली गई वैकुण्ठी यात्रा में श्रद्धालूओं का लगा तांता।

सन १९५३ से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुडक़र मोहिनी बहन ने देश विदेशों प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनुरूप ईश्वरीय राजयोग के माध्यम से अनेक लोगों के जीवन को संवारने में अहम भूमिका अदा की।

उल्लेखनीय है कि राजयोगिनी मोहिनी बहन ने लंबी बीमारी के बाद अहमदाबाद के एक निजि अस्पताल में बुधवार सवेरे अंतिम संास लेते अपनी भौतिक देह का त्याग किया था। बुधवार को ही उनका पार्थिव शरीर संगठन के आबूरोड शान्तिवन परिसर में लाया गया। गुरुवार को संगठन के उपमहासचिव बीके बृजमोहन आनंद, ज्ञानामृत मासिक पत्रिका के संपादक आत्मप्रकाश, संस्थान की महाप्रबंधक बीके मुन्नी बहन, खेल प्रभाग राष्ट्रीय संयोजिका शशि बहन, दिल्ली से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका आशा बहन, अहमदाबाद से आई शारदा बहन आदि की देखरेख में दिवंगत राजयोगिनी का पार्थिव शरीर संस्थान के मुख्यालय पाण्डव भवन स्थित हिस्ट्री हॉल में दर्शनार्थ रखा गया। जहां पर अंतिम दर्शन के लिए श्रद्धालूओं का तांता उमड़ आया। उनकी वैकुण्ठी रथयात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए आबूरोड के लिए रवाना हुई। जहां मार्ग में बड़ी संख्या में लोगों ने फूलमालायें अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धाजंलि दी।

इस अवसर पर भाजपा नगर मंडल, शिवसेना, विहिप, नक्की व्यापार संगठन, स्ट्रीट वेंडर ऐसोसिएशन, भाजयुमो, नगर कांग्रेस कमेटी, वर्मा टेक्सी युनियन, अरावली टेक्सी युनियन, समेत विभिन्न संगठनों और बड़ी संख्या में नागरिकों ने मार्ग से गुजरती वैकुण्ठी पर पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धाजंलि दी।

पाण्डव भवन पहुंचने से पूर्व दिवंगत राजयोगिनी की पार्थिव देह ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर परिसर, ग्लोबल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र भी ले जाई गई। जहां बड़ी संख्या में संस्थान के प्रतिनिधियों व श्रद्धालूओं ने उन्हें फूलहार कर श्रद्धाजंलि अर्पित की। मोहिनी बहन का भौतिक शरीर पाण्डव भवन स्थित संगठन के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की समाधिस्थल शान्तिस्तंभ, राजयोग मेडिटेशन कक्ष, तपस्यास्थली बाबा की कुटिया, ओम शान्ति भवन आदि में भी ले जाया गया।

 

 

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