दिव्यांग वर-वधु का हुआ माउण्ट आबू में प्रेम विवाह, वधु (लड़की)तो है,आसाम की,व वर(लड़का) राजस्थान के माउण्ट आबू का,दोनों ही जन्म से दिव्यांग।
रॉग नम्बर से शुरू हुई बात,बीते एक-डेढ़ वर्ष में बदली प्रेम कहानी में । माउण्ट आबू में सभी समाज के लोगों ने की इस शादी समारोह में शिरक्त।
कहते है, जो जोड़ें ईश्वर ने अपने हाथों से बनाए हे,इस धरा पर वे कहीं पर रहे,आखिरकार एक न एक दिन मलकर ही रहते है। ठीक इसी प्रकार का अजीब संयोग अब माउण्ट आबू में देखने को मिला है। जहां पर माउण्ट आबू के चंदन सिंह उर्फ सोनू पुत्र हरि सिंह,संयोगवश आज से करीबन डेढ़ से दो वर्ष पहले एक दिन अपने मोबाइल फोन से एक रॉग नम्बर डायल हो गया।
बात रॉग नम्बर के डायल होने तक तो ठीक थी। लेकिन यही रॉग नम्बर को रिसीव करने वाली लड़की, जो कि, स्वयं भी दिव्यांग है ,उससे जा मिला। बस तभी से रह-रह कर के आपस में बातचीत होती रही।
दिव्यांग होने के बाद भी संगीत में विशारद, कम्प्यूटर के जानकार, इलेक्ट्रिशयन,मोटर बाइंड़िग का कार्य करने समेत अन्य खूबियों के धनी चंदन सिंह की इस प्रेम कहानी ने धार पकड़ी,ओर दोनों मिलन नई दिल्ली के अंधजन पुर्नवास केन्द्र की हॉस्टल में हुई। वहां पर से बात इतनी बढ़ गयी कि, अब तो दोनों के परिवार वालों को भी इस प्रेम योग का समूचा संयोग पूरा पूरा समझ आया। तो आखिर इस दिव्यांग जोड़ें का विवाह हो ही गया।
कौन है वर,क्या गुण है इस दिव्यांग में ,किन कायों को जानने के साथ-साथ,संगीत में विशारद भी है – चंदन सिंह उर्फ सोनू अपनी प्रेम कहानी के बारें में बहुत कुछ पूछनें पर उखड़ जाने वाने चंदन सिंह उर्फ सोनू ने अपनी प्रेम कहानी का अपने शब्दों में बंया किया,कि,पहले तो दिव्यांग होकर के गुजरात के पालनपुर में स्थित विद्या मंदिर में 12 वीं कक्षा तक की पढ़ाई,यानि शिक्षा प्राप्त की। ओर आगे के जीवन यापन के लिए काफी कुछ सीखा। अथक परिश्रम से इलेक्ट्रीशियन,मोटर बाइंड़िग का काम सीखा,उसके बाद में अपने शौक, संगीत में विशारद की उपाधि गुजरात के अहमदाबाद के वस्त्रापुर में स्थित अंधजन मंड़ल से अर्जित की। फिजियोथैरेपी के क्रम में साइनटिपिक मसाज का कोर्स किया,ओर-तो-ओर,आगे इसी वस्त्रापुर के अंधजन मंड़ल में कारपेन्टर(खाती,बढ़ई का कार्य) का काम भी सीखा।
इतना सब सीख लेने के बाद रोजगार के लिए काफी कुछ प्रयास कए,ओर हाल माउण्ट आबू में ही होटल सिल्वर रॉक में संगीत का कार्यक्रम नियिमत रूप से प्रस्तुत करते है। मोटर बाइड़िग का काम भी करते-करते ,,, इसी के मध्य में एक दिन रॉग नम्बर लगता है,आसाम की रिजमा,हाल में विवाह के बाद नाम भावना सिंह से ,फेस बुक से आरम्भिक कहे या फिर कह लेवे, प्रारम्भिक जानकारी के बाद में दोस्ती परवान चढ़ी,ओर परिणाम हर सफल प्रेमी जोड़ें की तरह इनका विवाह अंतत: हो ही गया,माउण्ट आबू की हसीन पर्वतीय वादियों में । अन्य प्रेम कहानी की तरह वर व वधु पक्ष को लेकर पहले तो न मानने,बाद में वधु कौन है,कहां की है,कैसी है,माता पिता कहां पर कार्य करते है,यानि सारी कवायदें भी इन्के साथ में हुई।
बहरहाल वर पक्ष ने पहल करते हुए वधु की सहमित के आधार पर माउण्ट आबू के स्काउट ग्राफ ग्राउण्ड में पूरी शादी की तैयारियां की ओर पूरें शहर में धूम-धाम से बारात निकाली। बाद में उनकी हिन्दु रिति-रिवाजों के अनुसार बकायदा शादी करवाई गयी। जिसमें शरीक होने के लिए शहर के सी समाजों के लोग आए व वर एवं वधु को आर्शिवाद प्रदान किया।
कौन – है- वधु ,और कहां की रहने वाली –
आसाम की रहने वाली दिव्यांग रेजिना,शादी के बाद अब परिवतिर्तत नाम भावना आसाम की रहने वाली है। रेजिना ने खुलकर अपने प्रेम प्रसंग के विषय में बहुत कुछ बताया,लेकिन शरमाते हुए यह भी कहा कि,जब ऊपर वाले ने ही उनका जीवन,इसी जीवन के क्रम में साथ देने वाले जीवन साथी को माउण्ट आबू में बसाया है,तो फिर उन्हें यहां पर आना ही था।
वधु पक्ष के माता पिता तो इस विवाह से खुश नहीं थे,लेकिन बेटी के पसंद के आगे उन्हें हामी तो भरी लेकिन,वे उनके रिश्तेदार शादी में शरीक नहीं हुए ,इस दिव्यांग जोड़ें के माता पिता भी पूर्व पार्षद भंवर सिंह मेडतिया व उनकी पत्नी बनी। ओर अपने हाथों से कन्यादान किया। हालाकि विवाह के बाद में यह जोड़ा वधु पक्ष के घर भी जाएगा,ओर वहां (आसाम) में वहीं की रिति-निति-रिवाज से इनका विवाह करवाया जाएगा। वधु पक्ष के माता पिता गरीब परिवार से है। ओर मुख्यतया मेहनत मजदूरी ही उनका मुख्य रोजगार का माध्यम है।