माउंटआबू में दो साल में बदले 7 आयुक्त अब भी दफ्तर पर लगा रहता है ताला


| April 9, 2017 |  

हिल स्टेशन की अधिकतर सड़कें क्षतिग्रस्त और सफाई व्यवस्था भी लडखड़ाई होने से बिगड़ रही है शहर की छवि

माउंटआबू की नगरपालिका में आयुक्त का पद स्थाई नहीं होने से शहर में कई विकास कार्य रुके पड़े हैं। ऐसे में शहर का विकास कार्य तो होना दूर की बात है, यहां फैली अव्यवस्थाओं के कारण यहां आने वाले सैलानियों के आगे शहर की छवि भी खराब हो रही है। माउंट आबू नगरपालिका में पिछले 24 माह से स्थाई आयुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में शहर के विकास के अधिकतर कार्य लंबित एवं ठंडे बस्ते में पड़े हैं। वर्तमान में नियुक्त आयुक्त के पास आबूरोड और माउंट आबू नगरपालिका का अतिरिक्त कार्यभार है। ऐसे में आयुक्त के कक्ष में अक्सर ताला लगा रहता है। वही अधिकारी नही होने के चलते शहर की सडके और सफाई व्यवस्था भी चरमाई हुई नजर आती है । तो अस्थाई कर्मचारियो को दो माह को वेतन भी नही मिला है ।

वहीं केंद्र सरकार एवं राजस्थान-सरकार की मंशा है कि प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन के विकास कार्य युद्ध स्तर पर हो। इतना ही नहीं, आबू के विकास कार्यों के लिए आबू विकास समिति का गठन किया गया, जिसकी अध्यक्ष मुख्यमंत्री है। शहर को हेरिटेज लुक देने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आभा नारायण आर्किटेक्ट को नियुक्त किया था, जिन्होंने माउंट आबू शहर के पर्यटकों के केंद्रों का उच्च अधिकारियों के साथ तत्कालीन उपखंड अधिकारी अरविंद पोसवाल के समय विभिन्न प्वाइंट्स का अवलोकन भी किया। लेकिन विकास के गति का पहिया थामा हुआ ही नजर आ रहा है । ‘हमाराबोर्ड चाहता है कि माउंट आबू में विकास कार्य हो, लेकिन हो नहीं पा रहा है। पालिका को अनुभवी आयुक्त की आवश्यकता है, जिससे अवरुद्ध पड़े कार्य पुनरू चालू हो सके एवं आम जन को सुविधाएं मिल सके: सुरेश थिंगर पालिकाध्यक्ष

माउंट आबू में विकास के कार्य हो, लेकिन राज्य सरकार की ओर से माउंट के लिए की गई घोषणाएं के बराबर ही है। बोर्ड को बने ढाई वर्ष पूर्ण हो गया है। आबू पालिका में स्थाई आयुक्त नहीं है, जिससे आबू के विकास कार्यों में बाधा हो रही है, पर्यटकों को एवं आमजन को सुविधाएं नहीं मिल रही है: नारायण सिंह भाटी, नेताप्रतिपक्ष, नगरपालिका

दो साल में बदले सात आयुक्त नगरपालिका में स्थाई आयुक्त की नियुक्ति नहीं होने से यहां गत दो साल में करीब सात आयुक्त बदल गए हैं। ऐसे में शहर के विकास कार्यों का होना संभव नहीं है। दो साल पहले पूर्व आयुक्त विजय दान चारण के जाने के बाद यहां अभी तक स्थाई नियुक्ति नहीं हो पाई है। इनके बाद 1 जून 2015 से चंद्रेश्वर प्रसाद, 4 अगस्त 2015 से दिलीप माथुर, 22 जुलाई 2016 से अरविंद पोसवाल, 4 दिसंबर 2016 से गौरव अग्रवाल, 4 फरवरी 2017 से और 7 मार्च से से अरविंद जाखड़ आयुक्त का कार्यभार संभाल रहे हैं। इन सभी ने आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार ही संभाला है। ऐसा ही हाल कुछ निचले स्तर का है ।

वही बात पर्यटन माउंट आबू के स्वच्छता का हाल तो बुहत ही बुरा नजर आता है क्योकि जहां लाखो की संख्या में सैलानी आते है वहां पर कचरे के ढेर लगे हुए नजर आते है वही इस समस्या का सबसे मुख्य कारण अस्थाई कर्मचारियो को वेतन का नही मिलना: सीता अस्थाई कर्मचारी

 

 

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