भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों के अतिरिक्ति अधीक्षक ने किया मौका निरीक्षण
आबूरोड। नगरपालिका द्वारा ठेकेदार को एक ही सडक़ के दो भुगतान करने के मामले में गुरुवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों के अतिरिक्ति अधीक्षक नारायणसिंह राजपुरोहित ने मौका निरीक्षण किया। सडक़ की पैमाइश करवाई। एमबी बुक तलब की। लेकिन, एमबी बुक सुलभ नहीं हुई। एसीबी के एएसपी ने पालिकाध्यक्ष सुरेश सिंदल से आवश्यक जानकारी ली। पालिकाध्यक्ष सुरेश सिंदल, पालिका उपाध्यक्ष गणेश आचार्य, पालिका के कनिष्ठ अभियंता अर्पित गोलिया के साथ पत्थर गली पहुंचे। जहां उन्होंने पैमाइश करवाई।
कमलेश सोलंकी ने वार्ड दस व ग्यारह में एक ही सडक़ का दो बार भुगतान उठाने का हवाला दिया। वहीं ठेकेदार याकूब खान ने इसे गलत करार दिया। इस बात को लेकर काफी देर तक तर्क-विर्तक चलता रहा। एसीबी के एएसपी ने कार्य की एमबी बुक तलब की। लेकिन, एमबी बुक मौके पर पेश नहीं की गई। करीब एक घंटे से अधिक समय तक पैमाइश व निरीक्षण कार्य जारी रहा। गौरतलब है कि एसीबी के अतिरिक्त अधीक्षक द्वारा गत वर्ष पूर्व पालिकाध्यक्ष अश्विन गर्ग व अन्य के विरुद्ध की गई प्राथमिक जांच व सत्यापन रिपोर्ट का मुख्यालय द्वारा परीक्षण किया गया था।
इसके बाद एसीबी महानिदेशक कार्यालय द्वारा सिरोही एसीबी चौकी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के निर्णय की जानकारी दी गई। साथ ही दर्ज की गई एफआईआर संख्या 88/2016 को अनुसंधान के लिए सिरोही प्रेषित कर दिया गया। इसके बाद आबूरोड पालिका के तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता हाल सिरोही नगर परिषद के अधिशासी अभियंता व माउंट आबू पालिका के कार्यवाहक आयुक्त दिलीप माथुर पुत्र ओमप्रकाश माथुर, ठेकेदार याकुब खान के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
चार वर्ष पूर्व दस अप्रेल 2012 को जारी निविदा द्वारा विभिन्न निर्माण कार्यो की निविदाएं आमंत्रित की गई। इसके क्रम संख्या 10 पर वार्ड 10 में दो लाख की लागत से सडक़ निर्माण व क्रम सख्या 11 पर वार्ड 11 में तीन लाख की लागत से सडक़ निर्माण कार्य करवाए जाने का उल्लेख किया गया। इसमें न्यूनतम दर दाताओं को निर्धारित समयावधि में कार्य करने के लिए कार्यादेश जारी किए गए थे। वार्ड 10 व वार्ड 11 में सीसी सडक़ निर्माण कार्य होना था। परिसीमन के अनुसार पत्थरगली के एक तरफ वार्ड दस व दूसरी तरफ वार्ड ग्यारह आता है। ठेकेदार ने इसी का लाभ उठाया। एक ही निर्माण कार्य को दोनो वार्डो में अलग-अलग बताया। दोनों वार्डो के नाम से एमबी में इन्द्राज करवाया। अलग-अलग बिल बनाकर भुगतान उठा लिया।