दयानंद पैराडाइज में एक वाक्पीठ का आयोजन डी.ए.वी.के मुख्य निदेषक महोदय श्रीमोहनलाल गोइल जी की अध्यक्षता में किया गया। जिसका मुख्य विष्य आजकल की प्रमूख समस्या “शीषु देखभाल या बाल संस्कार “रखागया विष्य सेसम्बन्धित कई दर्शनीय चलचित्रो्रं के माध्यम से अभिभावकों को सलाह दी गई एंव बालको के मनोविज्ञान से सम्बन्धित अभिभाव कों की समस्याओं का बडे़ रोचक पूर्ण ढ़ग से समाधान बताया गया ।
श्री मोहन लाल गोइलजी स्वंय एक कर्मठ शिक्षक एंव जुझारू कार्यकर्ता रहे हैं । साथ ही आनन्द उत्सव में “भव्य डाँडिया प्रतियोगिता”
का आयोजन किया गया, जिसमें अभिभावकों, बच्चों व शीक्षिकाओं ने बढ़-चढ़ कर रंगारंग प्रस्तुति दी। ऐसा भव्य वातावरण दयानंद पैराडाइज के नाम को सार्थक कर रहा था। बच्चों की पोषाकें एवं उत्साह वाकई में उन्हें देवदूत के समान बना रहीं थी ।संगीतमय वातावरण की मुख्य विषेषता थी कि संगीतज्ञ स्वंय यहॉ के छात्र-छात्राऐं ही थे ।
नन्हें हाथों की थाप पे डाँडिया प्रस्तुति सभीको आष्चर्यचकित बनाए हुए थी। सभी प्रतिस्पर्धीयों में एक अदभुद उत्साह देखोने को मिल्ला । इस मौके पर शालाप्रधान श्रीमान मोती लालजी आर्य श्री मान प्रवीण आर्य, प्राचार्य मोनिका शर्मा आदि मौजूद थे। प्राचार्या महोदया ने बच्चों की विलक्षण प्रतिभा को सराहा साथ ही उन्हें और तरक्की के लिए प्रोत्साहित भी किया एंव विजेताओं को पुरूस्कृतकरा व अपने शब्दों को विराम देने से पूर्व उन्हें उक्त शब्दों से प्रेरित किया |
”खुदीं को कर बुलंद इतना कि हर किस्मत बनाने से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है।“