रोहिड़ा का गुलाब जामुन, अलवर का मिल्क केक और ब्यावर की तिलपट्टी की तरह ही आबू रोड की रबड़ी के स्वाद का जादू दुनिया भर में लोगों के सर चढ़कर बोलता है। माउंटआबू जाने के लिए पहले आपको आबू रोड पहुंचना होता है और बस यही से रबड़ी की मिठास का सफर शुरू होता है। यहां की मशहूर रबड़ी का ऐसा जादू है कि इसका निर्यात सात समंदर पार के कई देशों में होता है। हर सैलानी या फिर कोई भी अगर यहां आता है तो यहां की रबड़ी का स्वाद जरूर चखना चाहता है। अब आबू रोड की मीठी रबड़ी ग्लोबल पकवान हो गई है जो दुबई सहित कई देशों में जाकर स्वाद का डंका बजा रही है ।
आबू रोड स्टेशन । यहां से शुरू होती है मिठास की अनोखी यात्रा। यह सफर मीठी रबड़ी का है। ट्रेन रुकी नहीं कि रबड़ी, मीठी रबड़ी की आवाज कानों में गूंजने लगती है। दरअसल आबू रोड में रबड़ी के स्वाद के चर्चे देशभर मे है इसलिए जब भी यहां कोई आता है तो रबड़ी की मिठास लेना नहीं भूलता है। देखिए कैसे रबड़ी का मिठास लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला देता है। मिठास का यह स्वाद जुबान से कैसे बयां होता ह
रबड़ी की मिठास का सफर आबू रोड में ही खत्म नहीं होता बल्कि पूरे आबू रोड में हर नुक्कड़, दुकान या चौराहे पर आप इस मीठी और अनोखी रबड़ी का स्वाद ले सकते हैं। इसी स्वाद की दुनिया और लोग दीवाने हैं। आबू रोड की रबड़ी देशभर में मशहूर है । ब्रिटीश जमाने से ही यहां की रबड़ी के चर्चे हैं जिसका स्वाद सबको भाता है। अंग्रेज लोग भी इस रबड़ी के खूब दीवाने थे।
दरअसल यहां की भैसों के लिए पलाश का पौधा जैसा खुराक भरपूर है। भैसे पलाश के इन पत्तों को खाती है और उनका दूध गाढ़ा होता है जो रबड़ी बनाने के लिए बेहद अनुकूल होता है। भैसों के लिए पलाश का पौधा चारे के रूप में यहां भरपूर है जिसकी मिठास रबड़ी में भी मिलती है।
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रबड़ी की मिठास का जलवा सिर्फ जबान और पेट तक ही नहीं है बल्कि यह सात समंदर पार भी बोलता है। सउदी अरब, कुवैत,इराक ,कतर सहित कई देशों में यहां की मशहूर रबड़ी जाती हैं । स्वाद के दीवाने इन्हें चखते हैं और उन्हें आबू रोड की रबड़ी खाने का अद्भुत आनंद आता है। लगभग 15 लाख रुपये की रबड़ी का कारोबार यहां रोज होता है। अब इस रबड़ी के कारोबार का आलम यह है कि यह लघु उद्योग का रुप लेने लगा है और तभी यह कारोबार यहां दुकानों और बाजारों से चलकर छोटे घरों तक भी पहुंच गया है। छोटे छोटे घरों में इस मीठी रबड़ी का निर्माण किया जाता है और फिर यह दुकानों और बाजारों तक अपने दीवानों के बीच जा पहुंचती है।
रबड़ी बनाने की प्रक्रिया कई घंटों तक चलती है। मीठी रबड़ी की मिठास के लिए लगभग 6 से सात घंटे की मेहनत मशक्कत करनी होती है । सबसे पहले दूध को पांच से छह घंटे तक एक बड़े कड़ाह में धीमी आंच पर उबाला जाता है। इस बीच मलाई जमती रहती है। किनारे पर खुरचन के साथ उसकी नमी का भी ख्याल रखा जाता है। जब दूध ठंडा हो जाता है तब इलायची पाउडर केसर आदि मिलाया जाता है। फिर उसके ठंडे होने का इंतजार किया जाता है। तमाम कवायदों के बाद यह मीठी रबड़ी तैयार होती है जिसके दीवाने आज दुनिया भर में है। तभी इसका स्वाद सात समंदर पार भी अपना डंका बजा रहा है जैसे कह रहा हो कि यह रबड़ी आबू रोड की है।