माउन्ट आबू में निर्माण कार्यो के सम्बन्ध में चल रही राजस्थान उच्च न्यायालय में जनहित याचिका पर सुनवाई बुधवार को डबल बेन्च पर होगी। इसकी सुनवाई राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति गोविन्द माथुर की बेन्च करेगी। माउन्ट आबू में पिछले दिनों वर्षा से हुए भारी नुकसान को देखते हुए राजसथान सरकार, भारत सरकार द्वारा गठित मोनेटरींग कमेटी एवं नगरपालिका माउन्ट आबू की ओर से न्यायालय में राजस्थान सरकार के अतिरिक्त महाअधिवक्ता पक्ष प्रस्तुत करेंगे और इस बार जनता को उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2009 और 2011 मंें दिये गये निर्देशों की पालना के तहत जनता को राहत मिल पायेगी।
राजस्थान उच्च न्यायालय में निर्माण कार्यो पर लगी रोक पर बुधवार को डबल बेन्च पर सुनवाई होगी। इसके लिये राजस्थान सरकार, मोनेटरींग कमेटी, नगरपालिका माउन्ट आबू ने युद्व स्तर पर समस्त समस्याओं की जानकारी को शामिल करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के सरकार के अधिवक्ता द्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत किया जायेगा जिसमें माउन्ट आबू नगरपालिका पुस्तकालय भवन मंे संासद देवजी भाई पटेल, नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश थिंगर ने मण्डल को अवगत कराया कि बुधवार 5 अगस्त को जनता की भावनाओं का आदर करते हुए वे सभी पक्ष सरकार द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे है जिससे माउन्ट आबू की जनता को नव निर्माण, रिपयेर रिनोवेशन आदि के निर्देश प्राप्त किये जा सके और जनता को राहत मिले।
– दरअसल लंबे अरसे के बाद मानिटरिंग कमेट की बैठक गत 20 जुलाई को हुई थी जिससे जनता में अब यह विश्वास जगा है कि अब उनके तकलीफ के दिन खत्म हो जाएंगे। मानिटरिंग कमेटी की बैठक में भारत सरकार के स्वच्छता अभियान के तहत 18 बाथरूम यानी टायलेट को बनाने की अनुमति दी गई थी। इस बैठक में डिविजनल कमिश्नर जो माउंटआबू मानटरिंग कमेटी के अध्यक्ष भी हैं उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि अब यहां के लोगों को माउंटआबू की मानिटरिंग कमेटी के बैठक के लिए इंतजार नहीं करना होगा। उन्होने कहा कि उच्च न्यायालय में सरकार अपना पक्ष रखेगी और जनता को राहत देने के लिये दिशा निर्देश प्राप्त करेगी उसके बाद इसी माह फिर मोनेटरींग कमेटी की बैठक होगी।
– डिविजनल कमिश्नर के किये गये ऐलान पर बैठक अब हर महीने हुआ करेगी जिसमें जनता के मकानों के रिपेयर,रिनोवेशन और शौचालय आदि के निर्माण की अनुमति प्रदान की जाएगी। रिपेयर रिनोवेशन और टायलेट्स के निर्माण को लेकर एसडीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी और वहीं इन सबकी अनुमति देगी। यानी कमेटी को डिविजनल कमिश्नर से इस मसले में इजाजत लेना अनिवार्य नहीं होगा और वह खुद ही इन सब मसलों पर फैसला दे सकेगी।
News Courtesy: Anil Areean