गोशाला के गोचर पर अतिक्रमणों की बाढ, चंद पशुपालको के भरोसे पल रहा पशुधन
सिरोही की ऐतिहासिक रियासतकालीन अर्बुदा गोशाला डेयरी फार्म पूर्व सिरोही स्टेट असाधारण राजपत्र 7 मई 1948 में प्रकाशित आदेश संख्या 474 के तहत गोलेरा हाऊस अरठ कालकाजी एवं डाबा जोड अर्बुदा गोशाला की स्थापना एवं रख-रखाव के लिए अनुदान में दिए थे,जिसकी क्रियान्विति 4 जनवरी 1949 को पूर्व सिरोही राज्य के मुख्यमंत्री गोकुल भाई भट्ट के आदेश से जारी किए थे एवं गोशाला के सफल संचालन के लिए विनियमों का प्रकाशन किया गया तथा रिकन्ट्रक्शन फंड भी आवंटित किया,जिसमे शर्त रखी गई कि सोसायटी का पंजीकरण,रजिस्टे्रशन ऑफ सोसायटी एक्ट के तहत होगा साथ ही ट्रस्ट की तरह कार्य करेगा।
उसके बाद कुछ़ वर्षाे तक तत्कालीन चैयरमैन स्वतंत्रता सैनानी पुखराज सिंघी सिरोही, लक्ष्मीशंकर, रेवाशंकर कापडिया झाडोली, रेवाशंकर यागनिक रोहिडा, अध्यक्ष सिरोही नगरपालिका, छितरमल जी आबूरोड, सरदार सिंह गहलोत सिरोही,हुकमीचंद सेठ सिरेाही, चंपालाल दवे सिरोही, मोतीलाल आबूरोड, गेनाराम माली शिवगंज, चुन्नीलाल हेमाजी कालन्द्री द्वारा सूचारू रूप से संचालित होती रही। अर्बुुदा गोशाला का उद्देश्य शहरवासियों को अच्छा पीने का दुध उपलब्ध करवाना था तथा दीपाबा रेबारी नामक पशु पालक नगरवासियों को दुध वितरण भी करता था।
कालंतर में अर्बुदा गोशाला का वैभव सने-सने खत्म होता रहा व उससे जुडी करीब साढे हजार बीघा से ज्यादा भूमि अतिक्रमणों की चपेट में आई तथा वहां पर मोना कॉलोनी सहित अनेक स्थानों पर गोचर में अतिक्रमण हुए,जिसका सिलसिला बदस्तुर जारी है।
गत वर्ष शहर में में पशु पालकों द्वारा छोडे गए आवारा पशुओं की समस्यां का निदान सिरोही नगर परिषद द्वारा नही होने पर मीडिया में लगातार प्रकाशित हो रही खबरो के बाद जिला कलेक्टर वी सरवन कुमार ने 19 नवम्बर 2015 को अर्बुदा गोशाला सेवा समिति का गठन किया व सदस्यों व सिरोही नगर परिषद को अर्बुदा गोशाला के संचालन के मनोनित किया,लेकिन स्थानीयजनों द्वारा पूर्व में पंजीकृत अर्बुदा गोशाला के बैंक खाते अलावा अन्य समिति के नाम बगैर पंजीयन के खाता खोले जाने व स्वयंसेवी संस्था दी हिन्दू वेव के अर्बुदा गोशाला के प्रबंधन पर आंदोलन की चेतावनी तथा वहां पर हुई भजन संध्या कार्यक्रम कर पूर्व विधायक संयम लोढा के चंदे के नाम पर प्रशासनिक अधिकारियों को लपटने के बाद यह कमेटी जिला कलेक्टर द्वारा समाप्त कर दी गई तथा सेवा समिति का बैंक खाता मूल अर्बुदा गोशाला के खाते में मर्ज कर 11 सदस्यों की दूसरी समिति बनाई गई।
इसके बावजूद अर्बुदा गोशाला के हालात नही सुधरे और ना ही गोचर पर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाही अमल में आई। अर्बुदा गोशाला व डेयरी फार्म का मुल उद्देश्य गायों का संरक्षण कर वहां अच्छी डेयरी स्थापना का है ,जिसके लिए पर्याप्त भूमि पर रियासतकाल में दी गई,लेकिन सिरोही नगर व आसपास के गांवों में छोडे गए पशुओं को वहां पर लाकर छोडा जाता है जिनकी ना तो उनका रजिस्टे्रशन होता है और ना ही उनकी सही तरह से जांच होती है साथ ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के भरोसे गोशाला चलती है व नगर परिषद द्वारा लगाए गए और पांच पशु पालकों को देखभाल के लिए मानदेय मिलता है,जो गोशाला चलाते और कुछ गोभक्त गोभक्ति में अपना सेवाएं देते है और सुंदरकांड का पाठ करते है।
अगर जिला प्रशासन व अर्बुदा गोशाला के अध्यक्ष व जिला कलेक्टर , पशु पालन राज्य मंत्री ओटाराम देवासी के गृह क्षेत्र की इस ऐतिहासिक गोशाला की समृद्वी व गोवंश के संरक्षण में उचित प्रक्रिया अमल में लाए तो ये गोशाला राजस्थान की नंबर वन गोशाला बन सकती है,लेकिन गोशाला अपने स्थान पर और बढते अतिक्रमण अपने स्थान पर,जिसको देखकर जिले की जनता में गहरा आक्रोश है। हालांकि गोशाला के लिए गोपालन राज्य मंत्री द्वारा तीन शेड के लिए बीस लाख रूपये की अनुशंषा की गई थी,जिसमे से दस लाख जिला परिषद ने स्वीकृत किए तो वहीं आदर्श चैरिटेबल संस्था के संस्थापक मुकेश मोदी ने भी 11 लाख रूपये का सहयोग देने की घोषणा की थी व अनेक भामाशाहों ने भी अनेक घोषणाएं भजन संध्या कार्यक्रम में की थी।
संवादाता
हरीश दवे, सिरोही