माउंटआबू में पांच दिन के गणपति का विसर्जन किया गया। यहां ढाइ दिन के गणपति से विसर्जन चालू है। आज शिवसेना के सबसे बड़े गणपति का भी विसर्जन किया गया । गणपति बप्पा मोर्या की गूंज से आज पूरा माउंटआबू गूंज उठा। गौर हो कि महाराष्ट्र की तरह माउंटआबू में भी गणपति महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
माउंटआबू में आकर्षक पंडालों में बड़े छोटे मिलाकर सेकड़ो गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। ढाई दिन और पांच दिन के गणपति का विसर्जन हो चुका है। पांचवें दिन के गणपति विसर्जन के दौरान श्रद्धालुओँ की भारी भीड़ रही। अब सात दिन और 10 दिन के गणपति का नक्की झील में विसर्जन किया जाएगा। शिवसेना के सबसे बड़े गणपति का भी आज विसर्जन किया गया।
गौर हो कि देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश का जन्म माउंटआबू में हुआ था और माता पार्वती ने अर्बुद पर्वत के इशान शिखर पर बैठकर पुत्र की कामना के लिए पुन्यंक नामक व्रत किया था । माउंटआबू में गणेशोत्सव के मौके पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
स्कंद पुराण में इस बात का जिक्र सात बार आया है कि भगवान गणेश का जन्म अर्बुदांचल में हुआ । इसी अर्बुद पर्वत पर भगवान शिव ने अपने पुत्रों के सामने शर्त रखी कि जो भी ब्रह्माण्ड की परिक्रमा सबसे पहले करके आएगा वही सबसे पहले पूजा जाएगा। उनके पुत्र कार्तिकेय तो ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने चले गए लेकिन पुत्र गणेश ने वही पर शिव और मां पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि सारा ब्रह्माण्ड तो आप में समाया हुआ है इसलिए मैंने आप की परिक्रमा कर ली है। उसके बाद से भगवान शंकर उनसे प्रसन्न हो गए और उसके बाद से किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा होती है ।