6/12/2014 गुरुशिखर (माउंटआबू), माउंटआबू के गुरुशिखर के उच्चतम चोटी पर भगवान दत्तात्रेय का दो दिनों का महोत्सव शुरू हो गया है। इसमें भाग लेने के लिए देश और दुनिया से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। यह महोत्सव दो दिनों तक चलता है जिसमें शामिल होने के लिए देशभर से संतों का समुदाय उमड़ पड़ता है। 16 गांव राजपूत समाज के नेतृत्व में यहां ध्वजा चढ़ाया गया। दत्ता्त्रेय मंदिर के पुजारी श्री शिवगिरी जी महाराज के सानिध्य में भगवान दत्तात्रेय को ध्वजा चढ़ाने का आध्यात्मिक कार्यक्रम संपन्न किया गया। इस मौके पर श्री शिवगिरी जी महाराज ने कहा कि भगवान दत्तात्रेय ऐसे देवता है जो ब्रह्म, विष्णु और महेश के अवतार है। वह त्रिदेव है जिसमें तीन देवता यानी ब्रह्म, विष्णु और शंकर का संगम है जो अवतार के रूप में जिनका जन्म हुआ।
यहां भगवान दत्तात्रेय ने साढ़े पांच हजार वर्ष तक तप किया था। वो गुफा, उनका त्रिशूल एवं धूनी जहां वो हवन किया करते थे और शिवलिंग के साथ उनकी पादुका आज भी मौजूद हैं। भक्त निरंतर इस स्थान पर दर्शनों के लिए आते हैं और इस धूनी को अपने साथ लेकर जाते हैं खासतौर पर साधु,संन्यासी,तपस्वी और तप करने वाले संन्यासियों की इस धूनी के प्रति विशेष आस्था है। यहां आने वाले भक्त आशीर्वाद रूप में धूनी से तिलक करते हैं। यह धूनी आज भी उसी समय से प्रज्जवलित है जो अबतक जलती आ रही है।
इस मौके पर यहां कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है जिनमें भंडारे का भी आयोजन किया गया है। भक्तों के बीच भंडारे का प्रसाद पाना काफी अहम होता है। यहां संतों में महंत विश्वनाथ गिरी जी महाराज ,महंत कमलेश पुरी जी ,अमर गिरी जी ,गणेश गिरी जी ,सुरेंद्र गिरी जी महाराज और प्रेम पुरी जी ,दिनेश गिरी जी और हरिद्वार से संत और महात्माओं ने भाग लिया । 16 गांव राजपूत समाज के अध्यक्ष बीबी सिंह सोलंकी और
सचिव देवी सिंह देवर सहित समाज के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस मौके पर सोलंकी जी ने कहा कि माउंटआबू 33 करोड़ देवी देवताओं का स्थान जहां भगवान दत्तात्रेय का अवतार हुआ है। उन्होंने कहा कि इस स्थान के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति भवसागर को पार कर जाता ।
News Courtesy: Anil Kumar Areean