इतिहास के पन्नो में देखा सुनहरा राजस्थान का एक ऐसा स्थान जहां अभी तक नही पहुंचा पुरातत्तव विभाग एवं प्रशासन
राजस्थान का एक मात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू जो कि राजस्थान ही नही ब्लकि पूरे देश में एक आदर्श हिल स्टेशन के नाम से जाना जाता है । और यहां की वादियां आने वाले पर्यटको को अपनी और आकर्षित करती रहती है । जिससे माउंट आबू में दिनो दिनो पर्यटको की संख्या में इजाफा हो रहा है । यहां पर ऐसे कई पर्यटन स्थल भी है जिसमें आने वाला पर्यटक आसानी से घुमने के लिए आ और जा सकता है ।
लेकिन माउंट आबू धर्म और धरोहर के हिसाब से तो एक ऐसी जगह है जिसमें देव स्थानो की कोई कमी नही है कहां जाता है कि माउंट आबू ३३ करोड देवी देवताओ की धरती के नाम से भी जाना जाता है इस पर्वत की श्रृखला के इतिहास की बात करे तो ब्या करने के लिए शब्दो की कमी हो जायेगी पर इतिहास पुरा नही होगा । इन्ही कन्दराओ में अभी भी कई स्थान ऐसे है जिसे माउंट आबू के १ प्रतिशत लोगो ने ही देखा होगा । इन्ही इतिहास के पन्नो में आज हम आपको लेकर चलते है और उन अनछुऐ पहलुओ को छुने की एक छोटी सी कोशिश करते है ।
मंदिर में रखी मुर्तिया
कैसे पहुचे आश्रम तक
जैसा कि सब जानते है कि माउंट आबू श्रृर्षि मुनियो की तपो भूमि है और कई श्रृर्षि मुनियो ने यहा तपस्या की और आज हम आप को इतिहास के पन्नो को टटोलते हुए ले चलते है श्रृर्षि गौतम की तपो भूर्मि की और यह जगह है गौतम आश्रम जहां पर मीणा समाज के आराधय श्रृर्षि गौतम में अपने जीवन काल में यह तपस्या की थी। इस स्थल पर पुहंचने के लिए आपको गौमुख आश्रम होते हुए भीष्ण जंगल में से 8 किलोमीटर का रास्ता तय कर इस स्थल तक पहुंच सकते है पर आप को जाने के पहले एक हिदायत भी अवश्य देना चाहेगे कि आप यहां अकेले नही जाये क्योकि यह रास्ता दुर्गम है और आप इन जगंलो में भटक सकते है |
क्या कहता है इतिहास
पुराने जमाने में लिखी गई पुस्तक स्कंद महा पुराण के प्रभास खण्ड के अर्बृद खण्ड के अनुसार ऋृर्षि गौतम ने यहां तपस्या की थी और इस पुस्तक में एक श£ोक कहा गया, ततो गच्छेन्नृपश्रेष्ठ सुपूर्णे गौतमाश्रमम् । यत्र पूर्व तपस्तंप्त गौतमेन महात्मना ।। इस श£ोक का अर्थ है कि अर्बृद खण्ड पर ऋृर्षि गौतम ने देवो के देव महेश्वर की अराधना इसी आश्रम में की थी जिससे भगवान प्रसन्न हुए और उन्हे वरदान दिया था कि आश्रम के नीचे की और एक कुण्ड है जिसमे स्नान करने से पुरे कुल का तर जाता है और चंद्र गहण के समय में यहां पर श्राद्व करने का फल गया में श्राद्व करने के बराबर होता है । और साथ ही सोमवार की अमावस पर गौतम ऋृर्षि की यात्रा करने पर गोदावरी के स्नान करने से १२ गुना फल यहां की यात्रा करने पर मिलता है ।
पवित्र कुंड
क्या कहते है प्रकृति प्रेमी
माउंट आबू के हर कोने की खाक छानने वाले प्रेमाराम आलिका का कहना है कि माउंट आबू ऐसे और कई स्थल है जहां तक आज प्रशासन का नुमाईदा तक नही पुहंचा है और हम प्रकृति पे्रमीयो की चाह तो यह कि गौतम आश्रम को इतिहास के पन्नो से अलग हट कर आज के इतिहास में भी जगह मिलनी चाहिए जिससे प्रकृति से प्रेम करने वाले लोग उन स्थानो तक जाकर प्रकृति की सुन्दरता का आनंद ले सके और साथ साथ ऐसे धार्मिक स्थलो का महत्व और बड सके । हम लोग तो जिस दिन छुट्टी मिलती है तो रूख करते जगंलो की और ऐसे नये स्थानो की खोज करते रहते है ।
होना पडेगा निराश ।
प्रकृति की गोद में बसे गौतम आश्रम की सुन्दरता तो देखते ही बनती है लेकिन यहां जाने वालो को थोडी निराश का समाना तो अवश्य ही करना पडेगा । क्योकि जिस कुण्ड की बात हमने उपर की है वह कुण्ड तो आज वही पर स्थित है लेकिन आज वह सुख चुका है । इस का कारण भी अनौखा ही वहां पर हर बार जाने वाले जगदीश राणा ने बताया कि आज से करीब 1 वर्ष पूर्व में यहां पर आया था तो इस कुण्ड में पानी था और इसी कुण्ड से मैने और मेरे साथ आये 80 बच्चो ने इस पवित्र कुण्ड से पानी पीया था । लेकिन अब यहां पर पानी नही है इसका भी कारण है कि इस कुण्ड में किसी भी प्रकार की अपवित्र चीज आती है तो यह पानी अदृश्य हो जाता है मुझे लगता है कि किसी ने इसे अपवित्र कर दिया है ।
स्पेशल स्टोरी
कमलेश प्रजाप, माउंट आबू