Abutimes.com की एतिहासिक 'महिला मिनी मेराथन' के सह आयोजक यशवंत पाटिल से खास मुलाकात


| November 12, 2014 |  

आबू रोड के इतिहास में पहली बार, आर्ट ऑफ़ ऑफ़ लिविंग एवं ओमशांति संसथान द्वारा की गई महिला मिनी मैराथन के सफलतम आयोजन के उप्लाक्स में आबू टाइम्स.कॉम के संपादक स्टेनली ने की यसवंत पाटिल से खास मुलाकात और जाने इस मेगा इवेंट का मकसद एवं स्फकता के राज़ |

स्टेनली(आबू टाइम्स): कैसा लगा रहा है यह मेगा इवेंट ऑर्गनाइज़ कर ने के बाद ?
यशवंत पाटिल (रेडियो मधुबन): पहली बार आबू रोड के इतिहास में, किसी ने सिर्फ़ और केवल सिर्फ़ महिलाओं को लेकर यह मिनी मेराथन आयोजित की गयी है और वो भी इतने शानदार तरीके से ! ऐसा लग रहा है जैसे इसे आयोजन करने का जो मकसद था, वो सौ प्रतिसत से ज़्यादा हासिल हुआ है | सच कहूँ – तो बादल पे पाँव हैं यह गीत मुझे याद आ रहा है, आपने भी ज़रूर देखी होगी चक दे इंडिया, कुछ ऐसा ही महसूस हो रहा है |

स्टेनली (आबू टाइम्स): क्या उद्देश्य था आपका इस मेराथन को आयोजित करने का ? कैसे इसकी शुरुआत हुई ?
यशवंत पाटिल (रेडियो मधुबन): इसी साल के शुरुआत में रेडियो मधुबन ने अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस पर आबू रोड और उस के आसपास रहने वाली महिलाओं के लिए 10 दिन के सचेतनता कार्यक्रम चलाए | इसी कार्यक्रम में रेडियो मधुबन की टीम ने यह महसूस किया की किस प्रकार आबूरोड में रहने वाली महिलाओं के अंदर प्रतिभा तो भरपूर है लेकिन एक छोटा शहर होने के कारण उन्हे या तो अपनी प्रतिभा का अंदाज़ा नहीं है या फिर उनके पास मौका नही है अपनी प्रतिभा को सभी के सामने ले कर आने का | बस यहीं से इस मेराथन के विचार ने जन्म लिया | रेडियो मधुबन में हमने ठान लिया था की कुछ ऐसा करें, जिससे हर वर्ग हर उम्र की महिलाओं को घर से बाहर निकल कर कुछ करने का मौका मिले| बस, परिणाम आपके सामने है |

स्टेनली(आबू टाइम्स)
: तो इसके आयोजन करने के लिए, आपने किस किस का साथ लिया ?
यशवंत पाटिल(रेडियो मधुबन): सबसे पहले तो हमारे सामने रेडियो मधुबन की टीम थी जिसमें करीब 30 सदस्य हैं और साथ साथ वो महिलाएँ थीं जिन्हें हमने महिला दिवस के कार्यक्रम में हमने भिन्न भिन्न आयोजनों से प्रोत्साहित किया था | उसके साथ साथ यह कार्यक्रम खेल से जुड़ा होने के कारण हमने स्पोर्ट्स विंग ब्रह्माकुमारीज, माउंट आबू को भी साथ लिया, जिन्होने इस रेस को आयोजित करने की हर एक बारीक़ियाँ हमें बताई | इस कड़ी में हमने जो दूसरी मीटिंग आयोजित की उसमे हमने रीको कालोनी से संगीता अग्रवाल जी, जो आर्ट ऑफ लिविंग की ट्रेनर हैं, उन्हे आमंत्रित किया | उनके साथ साथ उनकी टीम भी धीरे धीरे इसमे जुड़ी जिसमे मुख्य रूप से विनय, योगेश और महावीर जी थे | बहुत सफल प्रयास किया इनकी टीम ने | संगीता जी ने बाद में फिर आर.एस राजपूतजी, जो आबू रोड से ही हैं उन्हे हमारे साथ जोड़ा, बाद में जिन्होने इस रेस के टेक्निकल संचालन में मुख्य भूमिका निभाई | वैसे मैं किस किस का नाम लूँ और किसका ना लूँ , सब मिलकर करीब 80 लोग थे- रेडियो मधुबन टीम से, ब्रह्माकुमारीज से और आर्ट ऑफ लिविंग परिवार से जिनके अथक प्रयास से यह आयोजन सफल हुआ |

स्टेनली(आबू टाइम्स): इस महिला मेराथन की सबसे खूबसूरत बात कौन सी थी ?
यशवंत पाटिल(रेडियो मधुबन): सबसे अच्छी प्रेरणादाई बात तो यह रही कि आदिवासी समुदाय की महिलाओं ने भी इसमे खूब बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया | करीब 80 ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली आदिवासी महिलाओं ने इस रेस में हिस्सा लिया और उस से भी अच्छी बात इनमें से 9 महिलाओं ने टॉप – 20 में अवॉर्ड्स जीते |

स्टेनली(आबू टाइम्स): आखरी सवाल, आप क्या करते हैं रेडियो मधुबन में ?
यशवंत पाटिल(रेडियो मधुबन): स्टेनली जी में पिछले ३ साल से रेडियो मधुबन से जुड़ा हुआ हूँ और तकनीकी संचालन की ज़िम्मेवारी स्वेच्छा से ली हुई है | वैसे रेडियो मधुबन एक सामुदायिक एफ.एम. रेडियो स्टेशन है जिसकी स्थापना 2011 में हुई थी | रेडियो मधुबन 90.4 एफ.एम. पर स्थानीय समुदाय की अगवाई में हम 25 कार्यक्रमों का प्रसारण हर सप्ताह करते हैं | जिसमे समाज के हर वर्ग के लिए कुछ ना कुछ सूचनाएँ, जानकारियाँ और मनोरंजन भी होता है | यह आम जनता का ही रेडियो है जहाँ हर कोई अपनी बातें रिकॉर्डिंग और प्रसारण करवा सकता है | अधिक जानकारी के लिए जनता संपर्क कर सकते हैं – 02974-228888 |

स्टेनली(आबू टाइम्स): रेडियो मधुबन 90.4 एफ.एम. टीम को धन्यवाद !!
यशवंत पाटिल(रेडियो मधुबन): आपका और आबूटाइम्स.कॉम का भी बहुत बहुत शुक्रिया !!

यशवंत पाटिल
स्टेशन प्रबंधक
रेडियो मधुबन 90.4 एफ.एम.
तलेहटी, आबू रोड

 

 

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