श्री जीण माता संगीतमय मंगल पाठ का हुआ आयोजन
आबूरोड। श्री जीण माता समिती द्वारा आयोजित जीण माता मंगल पाठ के साथ देर रात तक भजन कलाकारो ने बांधा शमा । प्रख्यात टी.वी. भजन कलाकारो ने एक से बढकर एक भजन प्रस्तुत कर पण्डाल को भक्तिमय किया। छप्पन भोग का हुआ आयोजन। श्री जीण माता का आलौकिक श्रंगार ने सभी को किया मंत्र मुगध। महलाओं ने माता को चुंदरी व मेंहदी चढाई। अखण्ड ज्योति के साथ मामा का भव्य दरबार सजाया।
श्री जीण माता समिती द्वारा श्री जीण माता के मंगल पाठ के उलक्ष मे विराट भजन संध्या का आयोजन किया गया। मंगल पाठ कि शुरूआत कोलकत्ता से आए भजन कलाकार आनन्द पारासर ने गणपती वंदना के साथ पाठ का शुभारंभ करते हुये सुन्दर संगतीमय मंगल पाठ किया। पाठ के बीच बीच में सुन्दर भजनो की प्रस्तुति देते हुये भजन। उसके बाद कण कण मे बास है जिसका, तिहँुलोक पे राज है उसका…। भजन प्रस्तुत किया, श्री जीण माता को कोई अपना बनाकर देखो, कितना प्यार लुटाया प्रेम बढाकर देखो। जब से देखा तुझे न जाने किया हो गया, माता मै तेरा हो गया…।
श्रद्धालुओ की फरमाईश पर भजन कलाकार मंगल सिंह ने खाटू वाले बाबा श्याम पर, भगत के वश मे है भगवान, कर दे बैढा पार श्याम…। पारासर ने महिलाओ की फरमाईश पर जब से जगन ओ साजन लगी आपसे, नैणा हो गए बिन देखो मेरे बावरे…। किर्तन कि है रात बाबा आज थानै आणो है, अपना कौल निभाणा है…। मेरा कसके पकडले हाथ दुडाऊँ तो दुडाया नही जाए, दुडाउ तो दुडाया नही जाए…। दे दो अपनी नौकरी हमको भी एक बार, बस इतनी तनख्वा देना मेरा सुखी रहे परिवार…। मत घबरा नादान क्या कर लेगा तूफान, आने ही वाला है मेरा खाटू वाला श्याम…। भजन प्रस्तुत कर पूरे पंडाल को नाचने पर मजबूर कर दिया।
भजन संघ्या की शुरूआत मे श्री जीण माता सेवा समिती द्वारा सभी कलाकारो व भजन संध्या मे सहयोग करने वालो का मालापर्ण कर स्वागत किया। भजन संध्या के अंत मे जीण माता की महाआरती कर प्रसाद वितरण किया गया। देर रात्री तक चले इ विराट भजन संध्या मे भक्तो ने खूब आन्न्द लिया। कार्यक्रम कि व्यवस्था श्री जीण माता समिती के सदस्यो ने संभाली।
छप्पन भोग व आलौकिक श्रंगार हुआ
विराट भजन संध्या पर श्री जीण माता समिती द्वारा श्री जीण माता का भव्य दरबार का आयोजन किया गया जिसमे श्री जीण माता का आलौकिक श्रंगार, अखण्ड ज्योति व छप्पन भोग का आयोजन किया गया। इसमे सभी भक्तो ने बाबा की अखण्ड ज्योति मे आहुतु दी व आलौकिक श्रंगार के दर्शन कर छप्पन भोग रूपी प्रयसाद ग्रहण किया।