आबूरोड। रमजान के मुबारक मौके पर नन्है मासूम ने रोजे रख अल्लाह की बारगाह मे की इबादत। भीष्ण गर्मी के मोसम ने जहां हम एक पल पानी के बगैर नही रह पा रहे है वही अल्लाह की रजा के लिये नन्है अफजल ने रोजा रख अल्लह की बारगाह मे अपनी इबादत पेश की। समाज के लोगो ने फूल माला पहनाकर उनकी होसला अफाई की। मासूम रोजदार के साथ सभी ने किया रोजा इफ्तार। अल्लाह की बारगाह मे अमनो चेन कि दुआ।
इस्लाम मजहब के पांच फर्जो मे से एक रोजे आते है जो की हर इंसान पर फर्ज है, इस्लामी सराई से बालिग होने पर हर इंसान पर रोजे फर्ज है, अपनी किसी मजबूरी के कारण ही वह रोजे को छोड सकता है लेकिन उसके बदले उसे उसका कफ्फारा अदा करना पडता है। इसी के तहत घोसी मोहल्ला निवासी अब्दुल भाई घोसी के 9 वर्षीय पुत्र मोहम्म्द अफजल ने अल्लाह की रजा के लिये अपनी मर्जी से रोजे रखे पूरे दिन अल्लाह की इबादत करते नजर आये, सुबह उठते ही मासूम ने कुराने पाक कि तिलावत की जैसे ही नमाज का वक्त हुआ अफजल ने अपने परिजनो ने साथ मे नमाज अदा करी। साम को रोजा इफ्तार के वक्त रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया जिसमे समाज के लोगो ने उनके घर पहुँच कर उनका फल माला पहना कर उनकी होसला अफजाई की। इस मौके पर समाज के लोगो सहित परिजनो सहित सैकडो की संख्या मे रोजदार मौजुद रही।
मासूमो रोजदारो की जुबानी
रोजदार मोहम्मद अफजल ने बताया की हम अपने घर मे सभी को रोजे रखते हुये देख रहै हे मेरी भी इच्छा हुई कि रोजा रखे लेकिन घर वाले गर्मी होने के करण मुझेे मना कर रहै थे लेकिन मैने जिद्द करके रोजा रखा। अफजल ने बताया कि रोजा रख कर मुझेे सुकुन मिला है, सभी ने माला पहनाई, नये कपडे मिले, सभी ने तोहफे दिये। अफजल ने बताया कि रोजा मैने अल्लाह को खुश करने के लिये रखा, दुपहर तक तो मै आराम से रहा लेकिन साम होते होते पानी कि प्यास लगने लग गई थी लेकिन मैने अपना पूरा मन कुराने पाक कि तिलावत मे लगा दिया, ओर कब रोजा इफ्तार का वक्त हुआ पता हि नही चला। अल्लाह ने हमे रोजे रखने कि हिम्मत दी वही हमारी अम्मी अब्बा व सभी घर वालो का भरपूर प्यार मिला।