माउंट आबू | अगर आप किसी गैर आबू वासी से कभी खेल की बात करो तो उनका पहला जवाब होता है पोलो ग्राउंड, बहुत कम देखा गया है की किसी भी शहर के बीचो बिच इतना विशाल मैदान बन सके और अगर बात करे किसी पर्वतीय स्थल की तो मन में ऐसे मैदान का तो खयाला भी नहीं आता लेकिन पोलो ग्राउंड देख लोग दंग रह जाते है, बस स्टैंड से कुछ ही दुरी पर स्थापित यह मैदान आसानी से राह चलते लोगो को नज़र आते है लेकिन अफ़सोस की बात है मैदान में किसी खेल का कोर्ट (game court) नज़र नही आता |
न वॉली बॉल कोर्ट, न बास्केट बॉल कोर्ट, न क्रिकेट पिच, न बैडमिंटन कोर्ट, न टेनिस कोर्ट, और फुटबॉल ग्राउंड पर आये दिन मेलो की वजह से अनगिनत खड़े |
लगभग 2006 में इसी मैदान में बास्केट बॉल कोर्ट हुआ करता था लेकिन उस वर्ष हुए हॉर्स पोलो की वजह से बास्केट बॉल ग्राउंड को उखाड़ दिया और साथ ही अनेक बास्केट बॉल खिलाडियों का उत्साह भी, और आज भी सभी आबू के खिलाडी इसी उम्मीद में है की एक दिन बास्केट बॉल कोर्ट फिर बनाया जायेगा |
झूले लगाकर बच्चो को तो लुभाया लेकिन बड़ो के कसरत करने के लिए कोई इंतजाम नहीं
माउंट आबू में झूलो की कमी होने की वजह से हमेशा बच्चो में निराशा रहती थी लेकिन पोलो ग्राउंड और मगरमच गार्डन में हाल ही में लगे झूलो ने बच्चो को मुस्कुराने की वजह दी लेकिन आबू के युवा कहा जाए, आबू में कही भी कसरत करने के लिए न तो पोल है न कोई और इंतजामात |
अगर प्रशासन को आबू के खिलाडियों की प्रतिभा पर शक है तो हमारा सुझाव है एक बार स्कूलो में जाकर रिकार्ड्स देखे
क्रिकेट में आबू क्लब, वॉली बॉल में केंद्रीय विद्यालय, ऐसे हर खेल में कही दिग्गज खिलाडी और टीम रही है जिन्होंने आबू का खेल के क्षेत्र में नाम चमकाया है लेकिन समय के साथ कोर्ट न होने की वजह से खिलाडि यहा वहा भटकते रहे और अंत में उन्हें कंप्यूटर गेम्स की तरफ रुख करना पड़ रहा है |
अब नहीं आते कोई नामचीन खिलाडी
अगर आप पुराने खिलाडियों से बात करे तो वह ऐसे कई किस्से सुनाते है जिनमे बड़े बड़े खिलाडियों के नाम भी शामिल है, लेकिन समय के साथ आबू में सभी प्रकार के बड़े खेल आयोजन होना बंद से हो गए |
बहार वाले मज़े उड़ा के ले जाते है और आबू वासी मुहं देखते रह जाते है
हर वर्ष आबू में ग्रीष्म के मोसम में लगभग 10 दिन का स्पोर्ट्स कैंप लगता है जिसमे की क्रिकेट, हैण्ड बॉल, वॉलीबॉल, जैसे कई तरह के खेलो की कोचिंग दी जाती है, जिसमे की वैसे तो आबू के खिलाडियों की एंट्री नहीं होती और अगर मिल भी जाए तो वे लाइन के सबसे आखरी में नज़र आते है और उस समय लगता है मानो आबू में खेलो की बाड आ गयी हो लेकिन उनके जाते ही फिर राजस्थान के थार रेगिस्तान जैसे सुखा हो जाता है |
– सुविधाए बढाए ताकि राज्य, राष्ट्रिय व अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों का आयोजन हो सके
– रात्री कालीन खेल के लिए लाइट की हो व्यवस्था
– आबू वासियों के लिए आयोजीत हो कोचिंग कैंप
– हर वर्ष हो जिला स्तरीय प्रतियोगिता
– एथेलेटिक्स पर दिया जाए ज़ोर
– योग शिविरो के हो आयोजन
अगर आपके मन अभी कोई सुझाव है तो निचे कमेंट बॉक्स में लिखे, और अगर आपके पास भी ऐसा कोई विष्य है जिस पर प्रशासन अनदेखि कर रहा है तो हमे इस लिंक पर जाकर आर्टिकल मेल करे; अथवा आबूटाइम्स के न्यूज़ लिंक अपने व्हाट्सएप पर पाने के लिए इस न. पर मेसेज करे >> 9462874806