जल बिरादरी,नगर परिषद व भामाशाहों ने उठाया तालाब के जिर्णाेद्वार का बीडा
देवनगरी सिरोही के स्थापकों ने अपनी प्रजा को शुद्व पेयजल व कृषि के पानी की उपलब्धता के लिए नगर लाखेलाव, अखेलाव,मानसरोवर, कालकाजी, निडोरा, दुधिया, धांधेला, मंदाकिनी सहित दर्जन भर से ज्यादा ऐतिहासिक बावडियों का निर्माण करवा था। जिस वजह से नगरवासियों को आजादी के बाद से 90 के दशक तक पेयजल संकट के लिए भटकना नही पडा, हालांकि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को लेकर जिले में प्रशासनिक तंत्र चाक चौबंद हुआ है और जनप्रतिनिधि भी उसमें अपनी अहम भूमिका निभा रहें है,लेकिन सिरोही जल बिरादरी ने वर्ष 2010 में सन् 1465 में सिरोही रियासत के तत्कालीन शासक महाराव लाखा द्वारा बनाये लाखेलाव तालाब की खुदाई कर ऐतिहासिक पहल की थी,जिसमें तालाब से 15 सौं से ज्यादा ट्रक मिट्टी पोकलेंड मशीन, जनसहयोग,श्रमदान तथा विभिन्न समाजों के योगदान से निकाली गई और बाद में जल बिरादरी के इस आंदोलन में राजनीति घुस जाने से आगे का कार्य ढप हुआ,लेकिन अब गत प्रवासी सम्मेलन के दौरान कुछ भामाशाहों की पहल व जल बिरादरी द्वारा लाखेलाव तालाब को गोद लेने की पहल व सभापति नगर परिषद ताराराम माली द्वारा तालाब की पाल पर सौंदर्यीकरण करने की योजना अमल में आए तो यह तालाब देव नगरी का महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र बनकर उभर सकता है।
26 मई 2010 को तत्कालीन अतिरिक्त जिला कलेक्टर महिपाल सिंह उज्जवल, जल बिरादरी के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र सुराणा, नगर पालिका अध्यक्ष जयश्री राठौड, जगदीश हरिव्यासी,कमलकांत देवडा, आशुतोष पटनी,श्रीमति तारा भंडारी, रघुभाई माली, हरीश दवे, राजेन्द्र सिंह नरूका, स्वर्गीय पुनमचंद बाफना, करण सिंह राठौड,नारायण सिंह सांखला, नारायण सिंह ङ्क्षसदल आदि दर्जनों जनों की पहल से लाखेलाव तालाब की खुदाई का कार्य शुरू हुआ।
इस खुदाई कार्य के दौरान तालाब में आ रहें टांकरिया बस्ती के गंदे पानी को तालाब में आने से रोकने व तालाब से सटी पहाडी पर अवैद्य अतिक्रमण हटाने की मांग पर जल बिरादरी ने आंदोलन भी छेडा,जिसमें 10 जुलाई 2010 को जिला कलेक्टर सिरोही एवं जल संघर्ष समिति, जल बिरादरी सिरोही के सदस्यों के बीच निर्णय हुआ कि झोप नाले एवं संलग्र क्षेत्र के अतिक्रमणों को चिन्हित कर टीम गठित कर निश्चित समायावधि मे चिन्हित अतिक्रमियों पर विधिवत कार्रवाही होगी तथा माननीय जिला एवं सत्र न्यायधीश के निर्णय 19 सितम्बर 2007 की पालना की अधीशाषी अधिकारी नगर पालिका सिरोही को 23 जून 2010 के जारी पत्र में दस दिवस में कार्रवाही के लिए पाबंद किया था,लेकिन सालों बीत गए और कार्रवाही केवल कागजों रहकर सिमट गई।
अखेलाव,मानसरोवर तालाब क्षेत्र में खातेदारी बिलानाम व अतिक्रमित भूमियों को विस्तृत सर्वे के लिए नायाब तहसीलदार सिरोही के नेतृत्व में सर्वे का भी गठन किया था,लेकिन तालाबों की भूमि से अतिक्रमण हटने की बजाय तालाबों की भूमि पर पट्टे ही जारी हो गए, अगर जिला प्रशासन व नगर परिषद के जनप्रतिनिधि व तहसीलदार इस पर कार्रवाही करते तो भू-माफियाओं का कब्जा तालाबों में नही बढता व टांकरिया बस्ती का गंदा पानी भी तालाब में आने से रूकता एवं परिषद एक योजना बनाकर पाईप लाईन बिछा टांकरिया बस्ती से गंदा पानी आयुर्वेदिक अस्पताल के सामने से गुजर रहें नाले में मिलाकर निदान कर सकती थी।
अब हो रही नई पहल
गत दिनों प्रवासी सम्मेलन के दौरान आदर्श चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक मुकेश मोदी व पंकज गांधी ने तालाबों की खुदाई तथा सफाई के लिए 11-11 लाख देने की घोषणा जिला कलेक्टर के सम्मुख की व जिला जल बिरादरी के एडवोकेट सुरेश चन्द्र सुराणा ने भी लाखेलाव तालाब के पूर्ण जिर्णाेद्वार के लिए पांच लाख रूपये देने की घोषणा की व जल बिरादरी की पूरी टीम मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को सफल बनाने में वर्ष 2010 में छेडे गए अपने शेष काम को पूरा करने का दृढ निश्चय कर चुकी है वहीं सिरोही सभापति ताराराम माली ने सुभाष जयंति के मौके पर तालाब पर सुभाष बाबू की मूर्ति को आदमकद की बनाने व तालाब की पाल को भव्य रूप देने व सौंन्दर्यीकरण का भी बीडा उठाया है,अगर जिला प्रशासन जिम्मेदारी पूर्वक तालाबों के कब्जे व आवक मार्गाे के अतिक्रमण हटा मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन के दिशा निर्देशों व गाइड लाईन की पालना करता है तो यह तालाब सिरोही की लाईफ लाईन साबित हो सकते है व क्षेत्र का भू-गर्भ जल स्तर पर ऊंचाई की ओर बढ डार्क जोन से मुक्ति दिला सकता है।
संवादाता
हरीश दवे, सिरोही