– उत्तर पश्चिम रेलवे पर 1586 किमी रेल लाइनों पर लगाई जाएगी यह प्रणाली
आबूरोड़। रेलवे में संरक्षा एवं सुरक्षा सर्वोपरि है। रेलवे अपने सम्मानित यात्रियों की सुरक्षा के लिए कटिबद्ध है। संरक्षा को प्राथमिकता के क्रम में रेलवे की टकराने की घटना को रोकने के लिए भारतीय रेल द्वारा पूर्ण रूप से स्वदेशी प्रणाली ञ्जष्ट्रस् विकसित की गई है। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार भारतीय रेलवे पर सिग्नल को लाल अवस्था में (अर्थात् रूकने के संकेत) में पार न करने, अनुमत गति से अधिक गति से ट्रेन ना चलाने एवं आमने-सामने टकराने वाले दुर्घटनाओं को रोकने हेतु बचाव प्रणाली ञ्जष्ट्रस् विकसित की गई है जिसे ‘कवच’ नाम दिया गया है। यह प्रणाली सैटेलाइट द्वारा रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से लोकोमोटिव एवं स्टेशनों पर आपस में संबंध स्थापित करती है। इसके द्वारा लोको पायलेट को जहां एक और आगे आने वाले सिग्नलों की स्थिति के बारे में पता चलता है वही दूसरी ओर उसे लाइन पर रुकावट-रोक का पता भी चल जाता है।
इसके साथ ही इस प्रणाली से सिग्नल की लोकेशन एवं आने वाले सिग्नल की दूरी का भी पता चल जाता है, जिससे लोको पायलेट अधिक प्रभावी ढंग से गाड़ी का परिचालन कर पाता है। जब किसी लाइन पर अन्य गाड़ी के आने या खड़ी रहने आदि अवरोध का पता लगते ही यह प्रणाली सक्रिय होकर लोको पायलट को सचेत करती है एवं निश्चित अवधि पर स्वत: ही गाड़ी में ब्रेक लगा देती है, जिससे किसी भी अनहोनी घटना को रोका जा सके।
महाप्रबन्धक उत्तर पश्चिम रेलवे विजय शर्मा के कुशल नेतृत्व एवं पहल से उत्तर पश्चिम रेलवे पर 436.22 करोड़ की लागत से 1586 किलोमीटर रेल लाइनों पर यह प्रणाली लगाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त हो गई है, जिसे शीघ्र ही पूर्ण कर लिया जाएगा। उत्तर पश्चिम रेलवे पर यह ‘कवच’ प्रणाली रेवाड़ी-पालनपुर वाया जयपुर, जयपुर-सवाई माधोपुर, उदयपुर-चित्तौडग़ढ़, फु लेरा-जोधपुर-मारवाड़ एवं लूनी-भीलड़ी के 1586 किमी रेल खंड पर स्वीकृत की गई है।
इसके प्रणाली के लगने से जहां एक और रेलों के सुरक्षित एवं संरक्षित संचालन में वृद्धि होगी वहीं दूसरी ओर लोको पायलेट द्वारा सिगनलों की स्थिति की सटीक जानकारी मिलने से गाड़ी की औसत गति में भी वृद्धि होगी।