स्वामी ईश्वरानंद गिरी एवं संसद देवजी पटेल ने किया शिलान्यास
माउन्ट आबू – माउन्ट आबू का चूंगी नाका अब प्राचीन स्वरूप में उभर कर सामने आयेगा। चूंगी नाके पर ही महर्षि वशिष्ठ के भव्य द्वार का शिलान्यास अन्तराष्ट्रीय संत परिव्राजकाचार्य स्वामी ईश्वरानंदगिरी सिरोही जालौर के सांसद देवजी पटेल, नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश थिंगर राजसथान सरकार के पूर्व उप मुख्य सचेतक रतन देवासी समाज सेवी सुधीर जैन, नगरपालिका उपाध्यक्ष अर्चना दवे, पुलिस उपमहानिरीक्षक आंतरिक सुरक्षा अकादमी प्रशान्त जम्बोलकर की उपस्थिति में किया।
करीब 50 लाख की लागत से बनने वाला यह द्वार उम्मीद है 6 महीने में बनकर तैयार हो जायेगा। इसके निर्माण में बारीक और भव्य शिल्प का उपयोग किया जायेगा जिसके लिये जोधपुर से लाल पत्थर मगंाये जा रहे है। दरअसल इस द्वार के निर्माण उददेश्य को लेकर परिव्राजकाचार्य स्वामी इश्वरानंदगिरी का कहना है कि माउन्ट आबू एक प्राचीन और आघ्यत्मिक नगरी है जिसका विवरण स्कन्ध पुराण के अर्बुद खण्ड में भी मिलता है लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम लोगो को है कि माउन्टआबू को बसाने का श्रेय महष्र्षि वशिष्ठ को जाता है। गिरी ने इस मौके पर कहा कि उनकी वर्षो से यह क्ष्वाहिश थी कि माउन्ट आबू में वशिष्ठ द्वार का निर्माण हो और जो भी श्रद्वालु सेलानी आए वे इसके बारे में जाने लेकिन उन्होने शिलान्यास के मौके पर इसके पीछे निहित उददेश्य को बताने से इंकार करते हुए कहा कि इसका मकसद व दुनिया के सामने तभी लायेंगे जब यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो जायेगा। अब यह लोगो में उत्सुकता का विषय है कि स्वामी गिरी के संवित साधनायन ट्रस्ट द्वारा वशिष्ठ द्वार का निर्माण कर माउन्ट आबू और देश को कोनसी प्राचीन धरोहर सौपना चाहते है।
सिरोही जालौर के संासद देवजी पटेल ने कहा कि जब मैने स्वामीजी से इसके बारे में जाना तो इस बात का संकल्प लिया कि इसका निर्माण नियत अवधि यानि 6 माह के भीतर हो उन्ळोने कहा कि माउन्ट आबू में अब तमाम तरह के बाधाओं का खात्मा होता जा रहा है और महर्षि वशिष्ठ द्वारा द्वार का शिलान्यास उस दिशा में एक बेहतर आगाज है। कार्यक्रम का संचालन अर्बुदा देवी मन्दिर के पुजारी भरत रावल एवं समाज सेवी सुधीर जैन ने किया। यह भी बहुम कम लोगो को मालूम है कि माउन्ट आबू का गौमुख यानि वशिष्ठ आश्रम राम की पाठशाला रहा है जब राजा दशरथ ने राम लक्ष्मण भरत शत्रुधन सहित सभी चारो भाईयों के गुरूकुल के शिक्षा की जिम्मेदारी महर्षि वशिष्ठ को सौपी तो महर्षि वशिष्ठ को एक ऐसे स्थान की लाताश थी जो स्थान प्राचीन एवं शान्त होने के साथ आध्यत्मिक भी हो उनकी यह लताश माउन्ट आबू में पूरी हुई और उन्होने यहां महर्षि वशिष्ठ आश्रम यानि गुरूकुल का निर्माण कर भगवान राम सहित चारों भाईयो को शिक्षा प्रदान की। इस अवसर पर देश के कोने कोने से संवित साधक पहुचे और उनकी उपस्थिति में जोधपुर से आए विद्वान पंडितो और शास्त्रियों द्वारा शिला पूजन के साथ शिलान्यास किया गया।