नेशनल ग्रीन ट्रिबयूनल दिल्ली ने सुनाया फेसला। माउन्ट आबू की 9 विवादित जमीनों के अलावा माउन्ट आबू का मास्टर प्लान पर लगी रोक हटाई। अब माउन्ट आबू नगरपालिका करेगी निर्माणों के बायलोज पास और लेगी राज्य सरकार की स्वीकृति।
सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में मास्टर प्लान बनाने का आदेश दिया था। 2011 में मानिटरिंग कमेटी का गठन किया गया था। सबसे बड़ी शर्मनाक बात यह है कि जिस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना चुकी है । उसकी सुनवाई निचली अदालत में हो ही नहीं सकती। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामले निचली अदालत और एनजीटी में चल रहे है। अब इस मामले की सुनवाई एनजीटी कर रही है जिसका कोई औचित्य नही है। अब एनजीटी के फैसले के बाद माउंटआबू की जनता ने सही मायने में राहत की सांस ली है। गौर हो कि 2002 में माउंटआबू में मकानों के निर्माण और मरम्मत पर पाबंदी लगाई गई थी । यह पाबंदी सुप्रीम कोर्ट ने ही लगाई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2011 में हटा लिया। अपने आदेश के तहत सुप्रीम कोर्ट ने मानिटरिंग कमेटी का गठन करते हुए 6 हफ्ते के अंदर मकानों के निर्माण और मरम्मत के निस्तारण संबंधी मसलों को सुलझाने के निर्देश दिया गया था।
2015 में माउंटआबू का मास्टर प्लान पास हो चुका है तब भी यहां के लोग संवैधानिक और मौलिक अधिकारों से वंचित हैं। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सेंचुरी क्षेत्र को अलग कर दिया गया है। अब सिर्फ 10 से 12 किलोमीटर तक ही आबादी का क्षेत्र है। 390 किलोमीटर वन सेंचुरी घोषित हो चुका है जहां विकास के नाम पर जीरो है। लेकिन सरकार को उसकी चिंता ज्यादा है। माउंटाबू में कई घर है ऐसे है जो शौचालय तक के निर्माण को तरस रहे है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश और मास्टर प्लान शहर का पास होने के बावजूद लोग अपने संवैधानिक और मौलिक अधिकारों से वंचित है।
* नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने माउंटआबू में मास्टर प्लान, मकानों निर्माण कार्यों पर लगे स्टे को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी के अध्यक्ष हरीश साल्वे ने साफ किया कि माउंटआबू का मास्टर प्लान जब पास हो चुका है तब वहां मकानों के निर्माण और मरम्मत पर लगी रोक ठीक नहीं है। इसलिए एनजीटी ने इस स्टे को खारिज करते हुए माउंटआबू के लोगों को बड़ी राहत दी है। माउन्ट आबू में उन 9 मामलों पर रोक जरूर है जिन्हे रूपान्तरित किया जाना है और मास्टर प्लान में शामिल है और उन पर रोक लगाने की मांग लगती रही है। अब नगरपालिका माउन्ट आबू शीघ्र ही बायलोज पास कर राज्य सरकार से अनुमोदन कराकर शीघ्र ही माउन्ट आबू के नक्शों को स्वीकृत करेगी।
विवादित खसरा न.