– रेलवे चिकित्सक कि हटधर्मिठता के कारण एक घंटे से ज्यादा देर तक तडपता रहा मरीज
– रेलवे मजदूर संघ सहित अन्य लोगो की समझाईस के बाद भी नही माना चिकित्सक
– अन्य चिकित्सको सहित नर्सिंग स्टाफ ने किया इलाज
आबूरोड। रेल दुर्घटना मे घायल हुये रेल कर्मचारी मात्र मुख्य चिकित्सक की हठधमिटता व मेडिकल कार्ड के अभाव मे एक घंटे तक इलाज के लिये तडपता रहा मौके पर पुहंचे रेलवे मजदूर संघ के पदाधिकारीयो की समझााईस के बाद भी नही माने चिकित्सक उच्च रेल अधिकारी को वस्तुस्थिति से अवगत करवाया। इसके बाद ही घायल रेलकर्मी का अन्य चिकित्सको व नर्सिंग स्टाफ ने प्राथमिक उपचार कर उदयपुर के लिए किया रेफर।
प्राप्त जानकारी के अनुसार डीजलशेड में कार्यरत अनिल (30) पुत्र मोहनलाल प्रजापति किसी गुरूवार कि सवेरे अज्ञात ट्रेन की चपेट में आने से घायल होकर लुनियापुरा पुल के पास ट्रेक पर जा गिरा। समीप के लोगो ने घटना कि जानकारी रेलवे पुलिस व घायल के परिजनो को दी इसके बाद घायल के परिचित उसे लेकर रेलवे चिकित्सालय पहुंचे। वहां मौजूद चिकित्सालय प्रभारी डा सत्यजीत चटर्जी ने रेलकर्मी का मेडीकल कार्ड व सिक मेमो लाने की बात कही। उसे यहां लेकर आए लोगों ने उन्हे बताया कि घायल रेलकर्मी अकेला रहता है तथा वे मानवीयता के नाते उसे लेकर आए है आप उपचार शुरु कर दिजीए सभी कागजात कुछ ही देर मे लेकर आ जायेगें लेकिन, चिकित्सक अपनी बात पर अडै रहे ओर घायल रेल कर्मचारी का इलाज शुरु नही किया गया।
इस पर परिजनो व अन्य रेल कर्मचारीयो द्वारा उत्तर-पश्चिम रेलवे मजदूर संघ के नेताओं को इससे अवगत करवाया। कुछ ही देर में संगठन नेता सुभाष जोशी, नरेश सैनी सहित अन्य लोग वहां पहुंचे। मजदूर संघ ने भी मुख्य चिकित्सक को समझाने का प्रयास किया लेकिन वो किसी कि भी सुनने को तैयार नही थे बस अपनी बात पर रहे ओर घायल रेल कर्मचारी अपनी चीखो के साथ तडपता रहा घायल को तडपता देख दोनों पक्षों में शुरु हुई नोकझोंक देखते ही देखते गर्मागर्म बहस में बदल गई। इसके बाद भी बात नही बनने पर यूनियन नेताओं ने एडीआरएम को दूरभाष पर पूरी घटना के बारे मे जानकारी दी। एडीआरएम के हस्तक्षेप के बाद घायल रेलकर्मी का डाक्टर प्रखर मारू व नर्सिंग स्टाफ द्वारा प्राथमिक उपचार कर उदयपुर के लिए रेफर किया गया।
क्या जीवन से ज्यादा जरूरी है मेडिकल कार्ड
रेल दुर्घटना मे घायल हुये रेल कर्मचारी के साथ रेल चिकित्सालय मे घटित घटना के बाद सभी की जुबां पर यही चर्चा रही कि की किया किसी के जीवन से ज्यादा जरूरी है मेिडकल कार्ड। जब रेलवे हॉस्पीटल मे रेल कर्मचारी का इलाज नही हो रहा है तो अगर कभी इमरजैंसी मे कोई सिविलियन आ जाये तो उसकी मोत तो निश्चित है यहा पर, समय रहते अगर घायल का इलाज हो पाता तो शायद उसे उदयपुर रेफर करने कि जरूरत नही होती। आज घटित घटना में रेलवे चिकित्सक एस के चटर्जी से अपने पेसे को शर्मसार किया है।
इनका कहना है
हमे सुचना मिली कि मेरे भाई की रेल दुर्घटना हो गई हे हम उसे तुरन्त रेलवे चिकित्सालय लेकर गये लेकिन वहां मोजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मेडिकल कार्ड व रेलवे मेमो मांगा हमने कहा कि हम लाते है आप इलाज को शुरू करे लेकिन चिकित्सक नही माने ओर मेरा भाई एक घंटे तक इलाज के लिये तडपता रहा : योगेश प्रजापत, कुम्हार मोहल्ला आबूरोड
हमने चिकित्सक को कहा कि मेडिकल कार्ड व रेलवे मेमो आ रहा है लेकिन वो किसी कि बात सुनने को तैयार ही नही थे, ऐसा कई बार हुआ है जब रेल कर्मचारी को इस चिकित्सक कि हठधर्मिटता के कारण परेसान होना पडा है, आज भी हमने उच्च अधिकारीयो से बात की ओर घायल रेल कर्मचारी का इलाज करवाया : सुभाष जोशी, अध्यक्ष रेलवे मजदूर संघ, आबूरो
मैं इस बारे मे कुछ भी कहना नही चाहता, मेै रेलवे के नियम जानता हुं: एस के चटर्जी, मुख्य चिकित्सक रेलवे हॉस्पीटल आबूरोड