माउंटआबू में भगवान राम की सवारी एक बार फिर शान से निकली। होली से पहले ही भगवान राम और शिव की यह नगरी होली के कई रंगों में रंग गई। माउंटआबू में भगवान राम का अनोखा उत्सव यानी 71 वां पाठोत्सव 11 मार्च से चला जो 13 मार्च तक आयोजित हुआ। इस बार की सबसे खास बात यह रही कि देश में रामपंथ के सबसे बड़े संत जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम नारेशाचार्य जी महाराज श्रीमठ पंचगंगा काशी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। भगवान राम की रथयात्रा के साथ इनकी भी रथयात्रा निकाली गई। सबसे पहले भगवान राम की सवारी का सदियों पुराने परंपरा के मुताबिक माउंटआबू के बिहारी जी मंदिर में विशेष आरती की गई। यहां के पुजारी अशोक शर्मा ने भगवान और उनकी सवारी के लोगों का स्वागत किया।
भगवान राम की रथयात्रा के बीच भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। पूरे शहर की परिक्रमा के साथ भगवान राम की सवारी का हर जगह स्वागत किया गया और आरती भी उतारी गई। भगवान राम के दर्शन और उनकी भक्ति में डूबने का यह अद्भुत क्रम तीन दिनों तक चलता है।तीन दिनों तक चले इस उत्सव के दौरान भगवान राम की सवारी पूरे शहर की परिक्रमा करती है। भगवान राम की परिक्रमा का यह अनोखा उत्सव माउंटआबू में हर साल मनाया जाता है। भगवान राम की भक्ति की धारा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से संतों की जमात यहां आए जिसमें देश विदेश से कई साधु और संत भी शामिल हुए।
दुनिया में भगवान राम सिर्फ एक जगह अकेले हैं यानि उनकी मूर्ति के साथ न तो उनकी पत्नी सिया है और नही उनके छोटे भाई लक्ष्मण।माउंटआबू का रघुनाथ जी का ये मंदिर दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां भगवान राम अकेले हैं। भगवान रथयात्रा पर निकल चुके हैं । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम इन दिनों माउंटआबू की नगरी में अवतरित हो गये है। भगवान राम माउंटआबू में तीन दिनों की नगर परिक्रमा पर निकले है। संगीत की सरिता,नगाड़ों की थाप और भक्तिमय माहौल के बीच भगवान राम की ये सवारी तीन दिनों तक माउंटआबू में परिक्रमा होती रही और भक्त भक्ति के रस में डूबते रहे।
श्रद्धालुओं के लिए भगवान राम की ये यात्रा कुछ ऐसी होती है कि भगवान तीन दिनों के लिए साक्षात प्रकट हो गए। इस परिक्रमा में शामिल होने के लिए देश के साथ विदेशों से भी श्रद्धालु आते है, संतो का विशाल जुलूस इस मौके पर उमड़ पड़ता है। श्रद्धालुओं के लिए ये मौका भक्ति के रस में डूब जाने का होता है। भक्ति के इस अनोखे त्यौहार का इंतजार माउंटआबू के बच्चे भी करते है।
माउंटआबू के सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में भगवान राम की 5,500 साल पुरानी स्वयंभू मूर्ति है। दुनिया भर में ये रघुनाथ यानि भगवान राम की इकलौती मूर्ति है जहां भगवान राम अकेले है। यहां रघुवर (राम) के साथ न तो उनकी सिया(सीता) और न ही उनके भाई लक्ष्मण की मूर्ति है। भगवान राम की भव्य ये मूर्ति स्वयंभू मूर्ति है। नक्की झील के किनारे इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि ये नक्की झील से निकली थी।भगवान राम यहां बिल्कुल अकेले है।उनके साथ न तो उनकी पत्नी सीता है और न ही उनके छोटे भाई लक्ष्मण। भगवान राम की ये मूर्ति हजारों साल पुरानी है। भगवान राम की स्थापित छोटी मूर्ति पाठोत्सव के मौके पर साल में एक बार पूरे नगर की परिक्रमा तीन दिन तक करती है और माउंटआबू में ये उत्सव 3 दिन तक चलता है। भगवान राम की नगर परिक्रमा की ये परंपरा 400 साल पुरानी है जो अबतक चली आ रही है।
400 साल पहले जगदगुरु स्वामी रामानांदचार्य ने इस मूर्ति का जीर्णाद्धार कर इसे सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के रुप में स्थापित किया था।भगवान राम की स्वयंभू मूर्ति रामानंदाचार्य ने स्थापित की और उसके बाद से ये मंदिर सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के नाम से जाना गया।सर्वेश्वर यानि सभी के ईश्वर,पालनहार भगवान राम है।माउंटआबू में उसी ज़माने से यानि 400 साल पहले से ही भगवान के मंदिर में स्थापित हो जाने की खुशी पाठोत्सव के रुप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।