आबू संघर्ष समिति का आंदोलन जारी ,लेकिन रविवार से खुलेगें सम्पूर्ण माउंट आबू व्यवसाय
शनिवार (6/10/2018) की देर रात्रि में माउंट आबू के बाज़ार समेत होटल, रेस्टोरेन्ट को रविवार से खोलने के लिए आमजन ने अपनी सहमति तो जता दी । …………..लेकिन पिछले ढ़ाई दशक से अपने भवन निर्माण की पीड़ा का दंश झेल रहे आमजन के आक्रोश का ज्वालामुखी पालिका अध्यक्ष सुरेश थिंगर व पालिका उपाध्यक्षा अर्चना दवे के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के पारित करवाने के एक नए अभियान में परिवर्तित हो गया ।
कब तक आ जायेगा ; बिल्डिंग बायलॉज ?
यह तो आदर्श आचार संहिता के लागू होने के बाद से चुनाव आयोग के रुख से ही स्पष्ट हो पाएगा । लेकिन यह………. आबू संघर्ष समिति का यह एक आश्वासन ही है कि, जल्द ही वे अपने प्रयासों से बिल्ड़िंग बायलॉज को पारित करवा कर के ले आएंगे । अतः इसके लिए विधान सभा चुनाव के सम्पन्न होने तक लगने वाले समय को किसी निश्चित टाइम-फ्रेम में तय नहीं किया जा सकता ।
नगर पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ 18 पार्षद का ऑन स्पॉट अविश्वाश पत्र
वहीं दूसरी ओर सबको चौकानें वाला निर्णय माउंट आबू के लोगों ने लिया वह है, उनके बिल्डिंग बायलॉज के संघर्ष में उनके जनप्रतिनिधि पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर व उपाध्यक्षा अर्चना दवे के सम्मिलित नही होने पर उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव को लाकर के उन्हें उनके दायित्व से मुक्त किया जाए । जिसका शुभारंभ भी जनता-जनार्दन के समक्ष ही हो गया । हाथों-हाथ पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्षा के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव के अलग-अलग पत्रों को लिखकर के आमजन के मध्य में उस अविश्वाश पर अपने हस्ताक्षर से सहमति प्रदान करने वाले पालिका के अठारह पार्षदों के नामों को सार्वजनिक रूप से पढ़कर सुनाया गया । जिसे सोमवार की सुबह में जिला कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्णय शनिवार की देर रात्रि में उपस्थित आमजन के बीच में ही लिया गया ।
इसमें आगे क्या —
जैसा कि, तय है कि, ऐसा ही सब-कुछ रहा तो सम्भव है कि, आमजन के मध्य में उबाल खा रहे आक्रोश के कोपभाजन का शिकार इन दोनों जन प्रतिनिधियों को अपना पद गवां कर बनना पड़े । ………….लेकिन राज्य सरकार व ज़िला सिरोही का भाजपा का संगठन इस डेमेज कंट्रोल में पूरी गंभीरता से सक्रिय हो गया है । उसके चलते आबू वासियों के समक्ष लिए गए इस निर्णय के बाद उन सभी अठारह पार्षदों को राजनैतिक दबाव,पद का,प्रभाव का प्रलोभन,सत्ता की शक्ति का भय समेत अन्य कई तरह की धमकियां दी जा सकती हैं। जो उन्हें इस तरह के कार्य से विमुख करने में हमेशा ही उपयोग में लायी जाती है ।
इसलिए यह तो अब समय ही बताएगा कि, यह सभी अठारह पार्षद वह कर पाते हैं, अथवा अपनी कथनी व करनी में से भटक कर इस भावी उद्देश्य से भटक जाते हैं ।