एक माह पहले आई आफ़त की बारिश, और अब गुजरात में पटेलो के उग्र हुए आंदोलन के बाद पर्वतीय पर्यटन स्थल की अर्थ व्यवस्था दुबारा से बेपटरी हो चली है।
पहले ही आबू रोड -माउंट आबू का मुख़्य मार्ग आज भी रिपेयर होने की प्रतीक्षा में है। और प्रशासन के सम्बंधित विभाग अपने-अपने कारण एवम् वयवस्था की विवशता को बता कर इस मामले को महज टालने भर की नाकाम कोशिश कर रहा है।
ऐसे में माउंट आबू वासी अब दोहरी मार खाने को विवश है। ऐसा नहीं है कि,दोनों समस्याओं से आबू वाले पहले दो चार नहीं हुए हो। पहले वर्ष 1993 व् 2000 में ऐसे ही बारिश से मार्ग अवरुद्ध हुआ था। लेकिन उस समय में तीन-चार दिन में ही अवरुद्ध मार्ग व्यवस्थित होकर के छोटे-बड़े वाहनों के लिए यातायात आरम्भ हो गया था।
वर्ष 2002 में गुजरात दंगे के बाद में भी एक माह से अधिक समय तक माउंट आबू सैलानियों की आवक में काफी गिरावट आई थी। लेकिन देश के अन्य भागो से सैलानियों के आने से पर्यटन व्यवसाय में कुछ राहत मिल रही थी।
लेकिन आज के हालात तो मार्ग के एक दो नहीं,बल्कि आठ स्थानों से क्षतिग्रस्त होने की हकीकत भरी दास्तां आज भी उसी हाल में कहने को मजबूर है, जो हाल पिछली 27 जुलाई को तेज आफत की बारिश के बाद एकाएक बन आएं थे आबू वालो के लिए।
यही कारण है की अब एक माह की समयावधि के बाद आबू के लोगो में भी गुस्सा व् रोष रोजाना सड़क पर आकर आंदोलन की शकल में दिखने लगा है।
बुधवार व् गुरुवार को आबू के होटल,हॉस्टल,एवम् आम नागरिको की समिति के बाद राजपूत युवा समाज,वर्मा व् अर्बुदा टेक्सी यूनियन ने अपनी मांगो को लेकर के माउंट आबू के क्षतिग्रस्त मार्ग को जल्द ठीक करवाने व् अपने आवासो की मरम्ममत करने की अनुमति लेने के लिए एस डी एम् के माध्यम से प्रशासन व् राज्य सरकार को ज्ञापन सौपा है।