माउन्ट आबू को अब 10 स्मार्ट सिटी जो अब घोषित किये जाने है में शामिल करने के लिये राज्य सरकार ने नगरपालिका माउन्ट आबू से प्रस्ताव मांगा है जिसमें इसे घोषित किये जाने के लिये बनाये गये नियमों की जानकारी बैठक मे नहीं दिये जाने के कारण इस बैठक को शनिवार को जारी रखने का निर्णय लिया गया।
शुक्रवार को नगरपालिका पुस्तकालय भवन में आयोजित नगरपालिका मण्डल की आपातकालीन बैठक नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश थिंगर की अध्यक्षता में रखी गई जिसमें नगरपालिका आयुक्त एवं नगर सुधार न्यास के सचिव महेन्द्र सिंह ने बताया कि पहले राजस्थान में चार स्मार्ट सिटी घोषित की गई है और अब 10 स्मार्ट सिटी और घोषित की जानी है जिसमें माउन्ट आबू का नाम शामिल है इसके लिये नगरपालिका स्तर पर प्रस्ताव पारीत कर 20 जुलाई तक राज्य सरकार को भेजा जाना है जिसमें अगर माउन्ट आबू को स्मार्ट सिटी घोषित किया जाता है तो केन्द्र सरकार द्वारा इसके विकास के लिये 100 करोड रूप्ये की राशि भेजी जायेगीजिस पर नगरपालिका के पार्षदो ने प्रश्न उठाया कि स्मार्ट सिटी बनने से माउन्ट आबू को क्या नुकसान होना है और क्या फायदा इसके नियम कायदे क्या है और उन नियमों को किस प्रकार के लागू किया जा सकता है या विकास किस प्रकार से होगा यह सब कुछ जाना जाना आवश्यक है।
पार्षदो ने यह भी कहा कि माउन्ट आबू की करोडों की सिवरेज योजना में कहा गया था कि नगरपालिका माउन्ट आबू को इसमें किसी प्रकार का कोई व्यय नहीं होगा और पार्षदो मण्डल से इसी प्रकार स्वीकृति ली गई थी लेकिन आखिर आज ये योजना असफल हो गई है जिसका राज्य सरकार और नगरपालिका दोनो को करोडों का नुकसान उठाना पडा है।
इसलिए किसी भी सरकार की योजना को लागू किये जाने के पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि उनका असर जनता पर गलत तो नहीं होगा या नगरपालिका को क्या आर्थिक नुकसान है और क्या नहीं। नगरपालिका उपाध्यक्ष अर्चना दवे एवं सदस्य भगवानाराम, मुकेश अग्रवाल, दिलीप टंाक, नीलम टांक, सुनील आचार्य, ने मुददा उठाया कि माउन्ट आबू में 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने मोनेटरींग कमेटी का गठन किया था और दो साल में टूरिजम मास्टर प्लान और मासटर प्लान लागू करने की समयावधि दी थी और मोनेटरींगे कमेटी को हर दो माह में निश्चित रूप से बेठक कर जनता को निर्माण रिपेयरिंग आदि की स्व्ीकृति दिये जाने का आदेश था आज कई सालों से माउन्ट आबू की मोनेटरींग कमेटी की बैठक तक नहीं हुई है जिसकी वजह से जनता परेशान है।
उन्होने मुददा उठाया कि माउन्ट आबू में भवन उपविधि नियम 1978 नहीं होकर मोनेटरींग कमेटी मे राज्य सरकार के नियम 2009 के तहत ही जनता को स्वीकृति मिलनी चाहिए क्योंकि माउन्ट आबू नगरपालिका ने 2010 में ही राज्य सरकार को प्रस्ताव पारीत कर भिजवा दिया था और माउन्ट आबू के जनहित के कार्यो को नगरपालिका के जिम्मे सौपां जाना चाहीए इसी प्रकार नक्की झील जहां प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते है सुन्दरता को बरकरार रखने के लिये नक्की झील से एम के चैराहे तक नो वेन्डर जोन धोषित किये जाने का निर्णय लिया गया और माउन्ट आबू में बसे वेण्डरों को राज्य सरकार के नियमो के अनुसार बिस्थापित करने का निर्णय लिया गया। स्वच्छ भारत के तहत माउनट आबू में जहां जहां शौचालयों की जरूरत है वार्ड अनुसार सर्वे कर नये शौचालयों का निर्माण किया जायेगा। बैठक में आयुक्त महेन्द्र सिंह, एटीपी चन्दे्रशवर प्रसाद सहित अन्य नगरपालिका अधिकारी मौजुद थे।
News Courtesy: Anil Areean, Mount Abu