भगत सिंह के सन्देश को सिद्ध करते आबू वासी


| July 6, 2016 |  

माउंट आबू | भारत के सच्चे स्वतंत्रता सेनानी, शहीद भगत सिंह जो हस्ते हस्ते सुखदेव और राजगुरु के साथ भारत की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गये उन्होंने कहा था “सच्चा इंसान वही है जो अपने बल बूते पर जीता है, क्यूंकि दुसरो के कंधो पर तो जनाज़े निकला करते है” | माउंट आबू का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल नक्की झील की सफाई का विष्य हमेशा से एक गंभीर समस्या बना रहा है, फिर चाहे हजारो मछलियो के मरने का विषय हो या झील में फैलती जलकुंबी |

आज प्रातः 8:00 बजे से नक्की झील पर एक अभियान की शुरुआत की गई है जिसके अंतर्गत प्रतिदिन जलकुंबी नक्की झील से हटाई जाएगी, आज दिनांक 6 जुलाई 2016 को 8 बोट की सहायता से लगभग 30 लोगो ने मिलकर भारी मात्रा में जलकुंबी निकाली, यह अभियान जबतक जलकुंबी नक्की झील से पूर्ण रूप से नहीं निकाल दी जाती तब तक प्रतिदिन प्रातः 8 बजे से 10 बजे तक हर रोज़ चलाया जायेगा |

अभियान की अध्यक्षता कर रहे न. पा चेयरमैन सुरेश थिंगर ने आबू वासियो से अपील की है की आबू के राजनैतिक संगठन के लोग, शहरभर की व्यापार संस्थाएं, सामाजिक संस्थाएं, समस्त जागरूक नागरिक, नगरपालिका के समस्त पार्षदगण, शहरभर के शुभचिंतक एवं समस्त शहरभर के नागरिक प्रतिदिन प्रातः 8 से 10 बजे तक का समय निकालकर इस पावन कार्य के लिए सहयोग करें |

नक्की झील में लगातार बढ़ रही जलकुंबी नक्की झील की सुंदरता के लिए घातक है आज प्रातः थिंगर के साथ प्रतिपक्ष नेता नारायण सिंह भाटी, मनोनीत पार्षद जगदीश डाड, भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष नरपत चारण, समस्त बोट हाउस, छोटे लाल चौरासिया, नगरपालिका के सफाई निरीक्षक पंकज माथुर, जमादार देवी लाल रील, जगदिश कल्याणा एवं नगरपालिका कर्मचारियों ने इस कार्य को सफल बनाया ।

हर एक आबूवासी इस अभियान से जुड़े

जब हम आबू के सोंदर्य की बात करते है तो यह एक प्रभावी मौका है जब हम अपने आबू के सोंदर्य के लिए अपनी भागीदारी दे सके, आज केवल 30 सदस्यों की कोशिश से काफी मात्रा में जलकुंबी बहार निकाली गई, अगर आने वाले समय में और भी आबू वासी इस अभियान से जुड़े तो कुछ ही दिनों में जलकुंबी नक्की झील से पूर्ण रूप से निकाल दी जायेगी |

तकनीक की ले सहायता

अंग्रेजी में एक कहावत है “something is better then nothing” और इस तर्ज़ पर यह अभियान एक सफल कोशिश है लेकिन सवाल यह उठता है की कब तक लोगो स्वयं झील से जलकुंबी निकालते रहेंगे, आज हर चीज़ के लिए तकनीक मौजूद है फिर 1120 मी की ऊंचाई पर स्तिथ नक्की झील के लिए तकनीक क्यों नहीं उपयोग में लायी जा रही है ?

 

 

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