आबू | यह पोस्ट भीम रैली के पश्चात माउंट आबू व आबूरोड में हुए विवाद की व्याख्या प्रकाशित करती है | इससे पहले की खबर पर प्रकाश डाला जाए हम आप सभी से अपील करना चाहेंगे आज जो देश में जातिवाद के बीज पनपने लगा है उसे तुरंत काटदे नहीं तो फिर एक बार देश फिर घुलामी की तरफ झुक जायेगा |
किसी का भी साथ देने से पहले सच को पहचाने
दलितों को जो बताया जा रहा है की आरक्षण में उच्च न्यायालय ने संसोधन किया है वो सरासर गलत है, मुद्दा यह है की “दलित एक्ट अर्थात अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 कठोर कानून से कठोरता हटा दी गई है, अब जाँच के पहले पुलिस कोई गिरफ्तारी नहीं करेगी जो की पहले बिना जांच के ही गिरफ़्तारी हो जाती है, अत्याचारियों को अग्रिम जमानत मिल जायेगी ।
अब इसमें कहा आरक्षण में संसोधन की बात आ गई, यह किसी जाती से जुड़े आरक्षण में संसोधन की बात नहीं है बल्कि कानून में संसोधन की बात है |
माउंट आबू नगर पालिका चैयरमेन द्वारा दिया गया विवादित बायान
अब बात करे आबू की मुख्य दो ऐसी घटनाएं हुई जिसके चलते पुरे आबू में आक्रोश की लहर दौड़ उठी .. पहली घटना के कारण बने भाजपा के जिला उपाध्यक्ष व आबुरोड पालिका पार्षद विजय गोठवाल जिन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर ब्राह्मण व राजपूत समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करदी .. दूसरी घटना के कारण बने माउंट आबू के प्रथम नागरिक नगर पालिकाध्यक्ष व भाजपा नेता सुरेश थिंगर जिन्होंने भीम रैली में व्यापारियों के घरो में आटा न होने की बात कही व दलित को बाकी जातियो के कार्यक्रम में न जाने की कसम दिलाई |
इन दोनों घटना के बाद सभी समाज के लोग एक जुट होकर दोनों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग को लेकर एस.डी.एम कोर्ट पहुंचे व ज्ञापन दिया |
भाजपा जिला उपाध्यक्ष व आबुरोड पालिका पार्षद विजय गोठवाल द्वारा विवादित टिप्पणिया
दो अप्रेल को भारत बंद के दौरान पर्वतीय पर्यटन स्थल माउण्ट आबू में भी दलित संगठनों ने रैली निकाल करके अपनी भावनाओं की अभिव्यक्त किया था। लेकिन इस रैली में जगह जगह पर नगर पालिकाध्यक्ष व भाजपा नेता सुरेश थिंगर शहर के व्यापारियों व सवर्ण समाज के लोगों के लिए काफी कुछ विवादित ही बोल गए । नतीजतन अब भाजपा के जिला उपाध्यक्ष व पालिका पार्षद विजय गोठवाल का विवाद थमा भी न होगा कि, माउण्ट आबू के नगर पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर के द्वारा व्यापारियों के घरों में आटा नहीं होने का विवादित टिप्पणी ने नया बवाल खड़ा कर दिया हैं।
सोशल मिड़िया पर वायरल हो रहे इस विड़ियों में पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर बंद को समर्थन नहीं करने पर व्यापारियों व सवर्ण समाज के लोगों पर तंज कसते हुए यह कहते नजर आ रहे हैं कि, उनके घरों में आटा कम पड़ गया होगा इसलिए इन्होंने आपके बंद में अपनी दुकानें बंद नहीं रखकर के समर्थन नहीं दिया। साथ ही अब वे अपने धार्मिक आयोजन तक को मुख्यधारा से हटकर केवल दलितों का अलग गणपति निकालने की परम्परा की शुरूआत करने भी जा रहे हैं साथ ही सभी दलितों को कसम दिलाई की वह सिर्फ दलितों के कार्यक्रमों में जायेंगे ।
पालिकाध्यक्ष के इस विवादित टिप्पणी से जहां पर शहर के व्यापारियों व सवर्ण समाज में खासा रोष हो गया है। तो वहीं भाजपा नेताओं की लगातार ”फिसलती जबान’’ ने सरकार व संगठन दोनों के आत्म सम्मान में भी कमी ला दी है। लोग अब सोशल मिडिया पर ही पूछ रहे है कि,आप नगर पालिका अध्यक्ष हो अथवा केवल दलित संगठन के अध्यक्ष ? आपकों शहर के समस्त मतदाताओं के द्बारा चुनें गए जनप्रतिनिधियों ने अपना मुखिया बनाया था । न कि, कुछ लोगों ने।
इसी आक्रोश को व्यक्त करते हुए शहर के व्यापारियों समेत सवर्ण समाज के लोगों ने उपखण्ड़ अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि,पालिकाध्यक्ष के इस प्रकार के विवादित बोल शहरवासियों में फूट डालने का काम कर रहे हैं। इसलिए सामाजिक सौहार्द को बिगाड़नें वाले ऐसी विवादित टिप्पणी के विरूद्ब कार्यवाही करते हुए शहर में बने हुए शांतिपूर्ण वातावरण को कायम रखें।
साथ ही हम यह कहना चाहेंगे की बाबा साहेब ने बड़ी महनेत की है जाती में उच्च नीच खत्म करने की, कई दशक लग गए समाज को इस अभिशाप से मुक्त करने में और दलित समाज को फिर से यह कहना की अन्य समाज से फिर से दुरी बना लो उनके कार्यक्रमों में सम्मलित ना हो यह सोच फिर से समाज में जातिवाद हो जायेगा एक तरफ आप बात करते है सभी को सम्मानाता से देखा जाए कोई उच्च नीच न हो और दूसरी तरफ तुम उन्हें लोगो से दुरी बढ़ाने के लिए भड़का रहे हो |