सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में 70वां पाठोत्सव शुरू: माउंट आबू


| February 23, 2015 |  

23/02/2015 माउंटआबू, के सर्वेश्वर रघुनाथ मंडिर में सालना पाठोत्सव शुरू हो चुका है जो की तीन दिनों तक चलेगा। श्रद्धालु और संत इस पाठोत्सव में सम्मिलित होने के लिये देश के विभिन्न क्षेत्रो से आना शुरू हो गये है।

रामपंथ से जुड़े जगदगुरु रामानंदाचार्य जी महाराज सिंगला मठ माउंटआबू पाठोत्सव में पहुंचे। वह यहां इस समारोह के मुख्य अतिथि हैं। शनिवार को सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में महाअभिषेक किया गया । राम यज्ञ प्रारंभ हुआ। देशभर से अलग-अलग भजन मंडलियां आई है। टुंडाव, पालनपुर, नानोसड़ा, सिद्धपुर तथा रोहिड़ा की जानीमानी भजन मंडलियां पहुंची । जिनका अखंड श्रीराम संकीतर्न सुरू हुआ। सायंकालीन कार्यक्रमों की भव्य प्रस्तुतियां हुई और भगवान नाम संकीर्तन की पूर्णाहूति भी हुई। 23 तारीख सोमवार को श्रीराम महायञ की पूर्णाहुति होगी और भजन आदि के कार्यक्रम होगे। रथयात्रा का इस दौरान स्वागत समारोह होगा। देशभर से आए कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। यह कार्यक्रम महंत स्वामी अवधेश दास जी रामाणयी की अध्यक्षता में मनाया जा रहा है।

इस मौके पर रामपंथ से जुड़े जगदगुरु रामानंदाचार्य जी महाराज ने कहा है कि मंदिर में भगवान की स्वयंभू मूर्ति है जो भगवान राम के अनोखे रूप का दर्शन कराती है। उन्होने कहा कि भगवान राम की यह आस्था और उसका प्रारूप अनोखा है जो आपको अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति देता है।

दुनिया में भगवान राम सिर्फ एक जगह अकेले हैं यानि उनकी मूर्ति के साथ न तो उनकी पत्नी सिया है और नही उनके छोटे भाई लक्ष्मण।माउंटआबू का रघुनाथ जी का ये मंदिर दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां भगवान राम अकेले हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम इन दिनों माउंटआबू की नगरी में अवतरित हो गये है।भगवान राम माउंटआबू में तीन दिनों की नगर परिक्रमा पर निकले है। श्रद्धालु उनके दर्शन कर भक्ति की धारा में डूबकी लगा रहे है।ये नज़ारा माउंटआबू के सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर का है जहां भगवान राम चार दिनों तक शहर की परिक्रमा करते है और ये पूरा उत्सव 6 दिनों तक चलता है। माउंटआबू के सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में भगवान राम की 5,500 साल पुरानी स्वयंभू मूर्ति है।दुनिया भर में ये रघुनाथ यानि भगवान राम की इकलौती मूर्ति है जहां भगवान राम अकेले है।यहां रघुवर(राम) के साथ न तो उनकी सिया(सीता) और न ही उनके भाई लक्ष्मण की मूर्ति है।

भगवान राम की भव्य ये मूर्ति स्वयंभू मूर्ति है।नक्की झील के किनारे इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि ये नक्की झील से निकली थी।भगवान राम यहां बिल्कुल अकेले है।उनके साथ न तो उनकी पत्नी सीता है और न ही उनके छोटे भाई लक्ष्मण।भगवान राम की ये मूर्ति हजारों साल पुरानी है। संगीत की सरिता,नगाड़ों की थाप और भक्तिमय माहौल के बीच भगवान राम की ये सवारी तीन दिनों तक माउंटआबू में परिक्रमा करती है। भगवान राम की स्थापित छोटी मूर्ति पाठोत्सव के मौके पर साल में एक बार पूरे नगर की परिक्रमा चार दिन तक करती है और माउंटआबू में ये उत्सव 6 दिन तक चलता है।भगवान राम की नगर परिक्रमा की ये परंपरा 400 साल पुरानी है जो अबतक चली आ रही है।श्रद्धालुओं के लिए भगवान राम की ये यात्रा कुछ ऐसी होती है कि भगवान तीन दिनों के लिए साक्षात प्रकट हो गए।इस परिक्रमा में शामिल होने के लिए देश के साथ विदेशों से भी श्रद्धालु आते है, संतो का विशाल जुलूस इस मौके पर उमड़ पड़ता है।श्रद्धालुओं के लिए ये मौका भक्ति के रस में डूब जाने का होता है। भक्ति के इस अनोखे त्यौहार का इंतजार माउंटआबू के बच्चे भी करते है।

भगवान राम यहां अकेले है। जो इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति अपने मनोबल से हर विपत्तियों का सामना करते हुए जीवन क्षेत्र में विजय प्राप्त कर सकता है। भगवान राम के यहां अकेले ही नहीं बल्कि माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ भी आने के प्रमाण मिलते है।भगवान राम के यहां अकेल और सीता माता के साथ भी आने के प्रमाण मिले है।राम के इस अनोखे उत्सव के मौके पर जगदगुरू शंकराचार्य भी आते है। कई साधु-संतों के अलावा रामपंथ संप्रदाय से जुड़े संत लोग भी इस उत्सव में शरीक होकर भक्ति में डूबकी लगाने आते है। मंदिर के प्रांगण में स्थित ये रामकुंड प्राचीन रामकुंड है। इस रामकुंड का वर्णन स्कंद पुराण में भी है।इस रामकुंड के बारे में ये पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवान राम रोज़ सुबह में स्नान किया करते थे।

News Courtesy: Anil Areean, Mount Abu.

 

 

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