माउंट आबू में मनाया गया रघुनाथ मंदिर का पाठोत्सव, आबूवासी सहित भक्त, महंत, महात्मा आदि ने शोभा यात्रा में लिया भाग, सांय करीब 5:00 बजे नक्की झील पर स्थित रघुनाथ मंदिर से शोभा यात्रा का आरम्भ हुआ जो की आबूपर्वत के मुख्य बाज़ार से होते हुए राम भक्ति के जयकारो के साथ संपन्न हुई |
400 वर्ष पुराणी परमपरा
भगवान राम की नगर परिक्रमा की ये परंपरा 400 साल पुरानी है जो अबतक चली आ रही है। 400 साल पहले जगदगुरु स्वामी रामानांदचार्य ने इस मूर्ति का जीर्णाद्धार कर इसे सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के रुप में स्थापित किया था।भगवान राम की स्वयंभू मूर्ति रामानंदाचार्य ने स्थापित की और उसके बाद से ये मंदिर सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के नाम से जाना गया।सर्वेश्वर यानि सभी के ईश्वर,पालनहार भगवान राम है।माउंटआबू में उसी ज़माने से यानि 400 साल पहले से ही भगवान के मंदिर में स्थापित हो जाने की खुशी पाठोत्सव के रुप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।
भगवान राम का रथ।
फूल मालाओं से सजने के बाद चांदी का रथ दिव्यता के रंगों में रंगा दिखने लगा। अखिल भारतीय हिंदू धर्म सम्मेलन के साथ ही भगवान राम के इस अनोखे रथयात्रा उत्सव की तैयारी की जाती है। चांदी के रथ को तैयार करने में घंटों लगते है जिसमें संतों की सलाह और वास्तु का भी ध्यान रखा जाता है। दरअसल सिया के राम को जिस रथ पर विराजमान करतना होता है उसके लिए तैयारियां भी खास होती है जिसमें कई लोगों का सहयोग होता है। इसमें मंडलेश्वर टोली के संतों का भी यथोचित निर्देश होता है जो ध्यान में रखा जाता है। यह प्रक्रिया भक्ति और उल्लास से भरी होती है।