31/03/2015 सिरोही, राजस्थानदिवस के उपलक्ष्य में शहर के दशहरा मैदान में जिला प्रशासन की ओर से आयोजित सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों की प्रस्तुतियों से राजस्थान की संस्कृति साकार हो गई। राजू श्रीवास्तव का कहना है की खुशियां बांटने से मिलती है बड़ी खुशी वाही संगीतकार श्रवण राठौड़ का मन्ना है की देश में शीघ्र खत्म होगा पाश्चात्य संगीत का दौर, संतू सपेरा बरकत खां एंड पार्टी ने राजस्थानी लोक गीतों नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी। संगीतकार श्रवण राठौड़ ने फिल्मी तरानों की ऐसी तान छेड़ी की श्रोता देर रात तक जमे रहे। मशहूर हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी ने श्रोताओं को खूब हसाया ।
कार्यक्रम की शुरुआत जिले के प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से किया। इसके बाद कलेक्टर वी. सरवन कुमार ने अतिथियों कलाकारों का स्वागत किया। सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत संतू सपेरा एंड पार्टी ने राजस्थानी लोक गीतों पर शानदार नृत्य पेश कर किया। राजस्थानी गीतों पर पांडाल में बैठे श्रोता भी झूम उठे। इसके बाद बरकत खां एंड लहंगा पार्टी ने राजस्थानी लोकगीतों की शानदार प्रस्तुतियां देकर खूब दाद बटोरी।
गायिका पल्लवी डाबोलकर श्रवण कुमार ने अपने शानदार गीतों की प्रस्तुति दी। संगीत की स्वर लहरियों पर हर किसी के कदम थिरक उठे। श्रोता भी कलाकारों के सुरों से सुर मिलाते नजर आए। हर गीत के बाद जैसे हर कोई वापस उसी गीता को सुनना चाह रहा था।
मंच से जैसे हास्य रस की तो बरसात ही हो उठी। राजू श्रीवास्तव ने जब माइक संभाला तो हर चेहरा खुशी से दमक उठा। इसके बाद तो जैसे जैसे गजोधर भैया अपने हास्य बाण छोड़ते गए हर कोई उनके बाणों से हंसता हुआ लोटपोट हो गया।
कॉमेडीकिंग राजू श्रीवास्तव ने जोरदार कॉमेडी कर श्रोताओं को हंसी से लोटपोट कर दिया। राजू श्रीवास्तव ने राजनीति, फिल्म, प्रशासन मीडिया पर जोरदार चुटकुले किए। उन्होंने चाइना की घटिया चीजों, फिल्मों गीतों में फूहड़पन, अंधविश्वास ने रूढि़वादिता पर भी जमकर कटाक्ष किए। राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी पर पांडाल से वंस मोर वंस मोर की आवाजें गूंजती रही।
राजू श्रीवास्तव ने आजकल हास्य के नाम पर परोसी जा रही फूहड़ता पर खेद जताया। उन्होंने बताया कि आजकल के कलाकार अपना कद बढ़ाने के लिए अश्लील हास्य कर रहे है, जिसका समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि टीवी शो में कई बार देखते ही अपने परिवार के साथ बैठकर ऐसे हास्य प्रोग्राम नहीं देख सकते।
श्रवण राठौड़ ने बताया कि नदीम-श्रवण की जोड़ी ने सबसे पहले 1985 में भोजपुरी फिल्म ‘दंगल’ से शुरुआत की थी। लेकिन इसके बाद करीब 17 साल तक उनकी जोड़ी को संघर्ष करना पड़ा। फिर 1999 में फिल्म ‘आशिकी’ में ऐसा संगीत पेश किया कि इसके बाद 5000 से भी ‘ज्यादा गाने गाए। इनमें दिल है की मानता नहीं, हम है राही प्यार के, दीवाना, राजा हिंदुस्तानी, परदेश सहित कई फिल्मों में संगीत दिया।
Courtesy: Hiralal Mali, Sirohi